रविवार, 23 अक्टूबर 2016

जनशिक्षकों के प्रतिनियुक्ति आदेश

           जनशिक्षकों के प्रतिनियुक्ति आदेश रायसेन ज़िले में जारी हो चुके हैं सम्बंधितों द्वारा उन आदेशों को सोशल साइट पर खूब पोस्ट किया जा रहा है.इधर विदिशा ज़िले में नवीन जनशिक्षकों की काउंसलिंग किये हुए लगभग 20 दिन हो चुके हैं,किन्तु आदेश जारी नही हो पाये हैं,सम्भावित प्रतिनियुक्ति पर आने वाले आवेदकों को इन आदेशों का इंतेज़ार अभी भी है,जब रायसेन ज़िले के आदेश जारी हुए तो,विदिशा ज़िले में भी उम्मीद जागी है,गौरतलब बात ये है कि,आज कल शिक्षा विभाग में दो मुद्दों पर आपको हर कोई बात चीत करता हुआ मिल जायेगा,एक तो यह है कि,नवीन जनशिक्षकों के आदेश आने की सम्भावनाओं पर विचार होता रहता है.

  • वर्तमान कार्यरत जनशिक्षकों को कब स्कूल भेजेगें
  •         आज कल विदिशा ज़िले के जनपद शिक्षा केंद्रों में दूसरा महत्वपूर्ण चर्चा का विषय यह है कि,वर्तमान में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत अमले को किस प्रकार वापिस स्कूल भेजा जायेगा.प्रतिदिन चर्चाओं का दोर रहता है कि,काउंसलिंग कर के इन्हें स्कूलों में वापिस भेजा जायेगा,कुछ अनुभवी अध्यापक कहते हैं कि,जिस शाला से आये हैं,वहीं रवानगी भी होगी...
  •           सार यह है कि अन्य ज़िलों की भाँति विदिशा ज़िले में भी काउंसलिंग कर के वर्तमान अमले को उनके मन-माफ़िक़ स्कूलों में शीघ्र भेजा जाये.और नवीन प्रतिनियुक्ति वाले अमले को जल्द आदेश दिया जाएं,जिससे ज़िले में देरी से काम होने की बात जो लोग कर रहे हैं,उन्हें भी और इस सम्बन्ध में ज़्यादा बोलने का मोका न मिले.लोगों का कहना है कि,जब कोई कार्य अन्य ज़िलों में हो जाता है,उसके बाद ही विदिशा ज़िले में अमल होता है.अब जो भी हो दीपावली का पर्व समीप है लोग खुश हैं सरकार ने अध्यापकों को छठवाँ वेतनमान भी दे दिया है,अब विदिशा ज़िले की बारी है,ये कब प्रतिनियुक्ति अमले को खुश करते हैं....

शनिवार, 22 अक्टूबर 2016

संविदा शिक्षकों का हुआ संविलियन....


  •  विदिशा ज़िले में सन 2013 में संविदा शाला शिक्षक के पद पर नियुक्त संविदा शिक्षकों के संविलयन आदेश ज़िला पंचायत ने जारी कर दिए हैं,शिक्षकों का ये वर्ग अध्यापक संवर्ग में सम्मिलित हो गया है,अध्यापक संवर्ग में शामिल होने से अब इनका पदनाम संविदा शिक्षक के स्थान पर सहायक अध्यापक,अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापक रहेगा,संविदा शिक्षक संविलियन किये जाने से प्रसन्न दिखाई दे रहे हैं.क्योंकि मध्य प्रदेश के कुछ ज़िलों में ये काम पहले ही हो गया था,और जब विदिशा ज़िले के संविदा शिक्षकों के साथ ही नियुक्त अन्य ज़िले के संविदा शिक्षक अपने छठवें वेतनमान की पेयस्लिप सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे थे तो,यहां के संविदा शिक्षक अपने आप से निराश थे,क्योंकि उनके संविलियन आदेश नही होने से उन्हें अक्टूबर माह का वेतन छठवें वेतनमान के आधार पर नही मिलना था.
  • संविदा शिक्षकों ने ज़िले के अधिकारियों  माना आभार
  •             संविदा शिक्षकों ने संविलियन आदेश दीपावली के पूर्व जारी किये जाने को लेकर ज़िले के अधिकारियों के प्रति आभार व्यक्त किया है,अब अगर संकुल स्तर से कोई देर दारी नही होती है तो,विदिशा ज़िले के संविदा शिक्षकों को भी अक्टूबर के वेतन के साथ छठवां वेतनमान मिल जायगा,और इन शिक्षकों के पदनाम संविदा शिक्षक भी परिवर्तित होकर अध्यापक कहलाया जाने लगेगा.
  • अब आहरण अधिकारियों पर है नज़र
  •                       संविदा शिक्षक से हाल ही में अध्यापक संवर्ग में सम्मलित हुए,नवीन अध्यापक समूह के शिक्षक अब आहरण अधिकारियों पर नज़र रखे हुए हैं,उनका कहना है कि,ज़िले के अधिकारियों ने तो उन्हें समय रहते दीपावली का तोहफा दे दिया है,अब विकासखण्ड के अधिकारी क्या वास्तव में,अक्टूबर का वेतन छठवें वेतनमान के आधार पर देकर,उन्हें वास्तविक रूप से अध्यापक संवर्ग में दीपावली से पूर्व सम्मलित होने का अहसास करापाएगें अथवा नही.

गुरुवार, 20 अक्टूबर 2016

छठवाँ वेतनमान मिल ही गया....

अध्यापकों को लम्बे समय के संघर्ष के  बाद आखिर कार छठवां वेतन मान मिल ही गया,राज्य सरकार ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं,अक्टूबर माह के अंतिम सप्ताह तक ये वेतन अध्यापकों के खातों की रौनक बढ़ाएगा.अभी कुछ ही दिन पहले की बात है जब गढ़ना पत्रक जारी नही हुआ था तो अध्यापक बेचैन थे.शहडोल जाने की बात कर रहे थे,ये बात अलग है कि,कुछ अध्यापक शहडोल गए भी थे.अध्यापकों को छठवाँ वेतनमान  नही मिलने से अध्यापक भी आक्रामक दिखाई दे रहे थे,और अपनी पूरी भड़ास सोशल साईट पर निकाल रहे थे.हालांकि वर्तमान जारी गढ़ना पत्र में भी कुछ सीनियर अध्यापक कमियां बता रहे हैं,किन्तु आम अध्यापक अभी कुछ सुनने को तैयार नही हैं,उनका कहना है कि,पहले जारी घोषणा पत्रक अनुसार ही वेतन लेंगें,और बाद में विसंगतियों पर चर्चा करेंगे.आज कल बाबू लोगों की बड़ी माथा पच्ची चल रही है,नवीन गढ़ना पत्रक को समझने में,वह भी एक दूसरे से परामर्श कर रहे हैं,उनकी सोच भी ठीक है,कहीं कोई गलती न हो,इसलिए परामर्श भी ज़रूरी है.
  • सातवें वेतनमान की मांग भी अभी से
  •             अभी छठवां वेतनमान अध्यापकों के खातों तक पुहचने में कुछ दिन का समय है और अध्यापकों के हाथों में अभी छठवें वेतनमान की राशि भी नही आई है,और सातवें वेतनमान की मांग भी उठने लगी है,twitter पर कुछ अध्यापकों के तेवर अभी भी नरम होते दिखाई नही दे रहे है,उनका कहना है कि,अध्यापकों को सातवाँ वेतनमान भी राज्य के अन्य कर्मचारियों के साथ ही दिया जाये.
  • प्रदेश के मुखिया की प्रशंसा भी हो रही है.
  •                       अध्यापक संघटनों और अध्यापक नेताओं में छठवाँ वेतनमान अध्यापकों को दिए जाने का श्रेय लेने की भी होड़ लगी हुई है.वहीं आम अध्यापक प्रदेश के मुखिया की प्रशंसा करते नही थक रहा है,वास्तव में अध्यापकों की प्रशंसा जायज़ भी है,आखिरकार प्रदेश के मुख्यमंत्री ने अध्यापकों की बरसों पुरानी मांग जो पूरी कर दी है.अध्यापक ये भी मान कर चल रहे हैं। कि,प्रदेश के मुखिया ने दीपावली के तोहफे के रूप में छटवें वेतनमान की सौगात अध्यापकों को दी है.

बुधवार, 19 अक्टूबर 2016

जनशिक्षक ने किया बच्चों के साथ भोजन

जनशिक्षक

                     जनशिक्षक ओमकार सिंह रघुवंशी द्वारा कसबाताल जनशिक्षा केंद्र के सरकारी स्कूलों का निरीक्षण किया गया.शासकीय प्राथमिक शाला बेन्दीगड़ में व्यवस्थायें बेहतर मिली.यहां उन्होंने स्कूली बच्चों के साथ बैठकर भोजन भी किया.भारत सरकार द्वारा संचालित मध्यान्ह भोजन योजना यहां मध्य प्रदेश में भी संचालित है.मध्य प्रदेश में सरकारी स्कूलों को लंच के समय भोजन दिया जाता है.इस योजना से बच्चों का स्कूल में ठहराव भी सुनिश्चित होता है.सबसे ज़्यादा शिकायतें भी मध्यान्ह भोजन को लेकर आती हैं,प्राथमिक शाला बेन्दीगड़ में जनशिक्षक ओमकार सिंह को मेन्यू अनुसार मध्यान्ह भोजन का वितरण होना पाया गया.सरकारी स्कूलों में दोपहर का भोजन दिए जाने की शासन की योजना का लाभ सीधे तोर पर बच्चों को प्राप्त हो रहा है,हालांकि इसमें अनियमितताएं किये जाने की खबरें भी समाचार पत्रों की सुर्खियां बनती हैं,कुल मिला कर भारत सरकार की ये योजना बच्चों के हित के लिए है,और बच्चों को इसका लाभ भी मिल रहा है.

समय रहते बच्चों तक साइकिल पुहचें

साइकिल

                  मध्य प्रदेश में स्कूली छात्र एवं छात्राओं को इस वर्ष सीधे साइकलें वितरित की जा रही हैं.इससे पूर्व साइकिलों की राशि सम्बंधितों के खातों में जमा की जाती थी,किन्तु इस प्रकार की शिकायतें सामने आ रही थीं कि,सम्बंधित उस राशि से साईकिल क्रय नही कर रहे हैं,देखने में भी यह आ रहा था बच्चे दूर दराज़ के क्षेत्रों से पैदल ही स्कूल जाते हुए दिखाई देते थे.इस वर्ष इस योजना में बदलाव किया गया है.अच्छी क्वालिटी की साइकिलें बच्चों को वितरित की जा रही हैं,स्थानीय विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में निःशुल्क साइकिलों के पार्ट ट्रक द्वारा यहाँ आये हुए हैं.और यहाँ से साईकिल असेम्बिल्ड हो कर सम्बंधित बच्चों को वितरण हेतु भेजी जा रही है,यही देखने विकासखण्ड स्त्रोत समन्वयक निखलेश कुमार श्रीवास्तव और जनशिक्षक महेश साहू ,टोरी स्कूल पहुचे.उन्होंने पूरी प्रकिर्या का जायज़ा भी लिया,सम्बंधितों से चर्चा भी की गई.जिससे समय रहते साईकिल बच्चों को वितरित की जा सके.

मंगलवार, 18 अक्टूबर 2016

बी आर सी द्वारा किया गया स्कूल निरीक्षण

स्कूल निरीक्षण

          सरकारी स्कूलों के निरीक्षण के क्रम में आज विकासखण्ड स्त्रोत समन्वयक निखलेश कुमार श्रीवास्तव ने शासकीय प्राथमिक शाला बनिया ढाने का निरीक्षण किया.और सम्बंधित शाला प्रभारी और स्कूल प्रबन्धन को आवशयक दिशा निर्देश दिए.


आज कल सरकारी स्कूलों की सभी प्रकार की जानकारी ऑनलाइन एजुकेशन पोर्टल और समग्र पोर्टल पर अपडेट होने लगी है,वर्तमान में छात्र प्रोफाइल का काम विकासखण्ड का पिछड़ रहा है,इसी को ध्यान में रखते हुए बीआरसी सिरोंज द्वारा सरकारी स्कूलों का भ्रमण किया जा रहा है,जिससे मेपिंग कार्य की वास्तविक स्थिति की जानकारी मिल सके,और शाला प्रभारीयों को मेपिंग का काम शीघ्र किये जाने के निर्देश दिए जा सकें.हालांकि सभी जनशिक्षक इस कार्य में लगे हुए हैं,और अपने अपने जनशिक्षा केंद्रों के स्कूलों की मेपिंग प्रोफाइल के कार्यों की समीक्षा सम्बंधितों द्वारा की जा रही है.ऐसी आशा है कि,शीघ्र ही विकासखण्ड का समग्र से सम्बंधित कार्य पूर्ण हो जायेगा.

ये भी पढ़ें.....
मैपिंग की माथा पच्ची

मेपिंग बनाम माथा पच्ची


  • मेपिंग बनाम माथा पच्ची  
                    सरकारी स्कूलों की मेपिंग और प्रोफाइल अपडेशन का कार्य हर साल पिछड़ जाता है,मेपिंग की लेटलतीफी के कारण नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारी ,कर्मचारीयों को अपने वरिष्ठ अधिकारियों  की फटकार का सामना करना पड़ता है,ऐसी क्या दिक़्क़त हर साल मध्य प्रदेश में सरकारी अमले के समक्ष आती है जिसकी वजह से ये कार्य समय पर नही हो पाता है,समझ से परे है.

आखिर ये मेपिंग है क्या ?
                 मध्य प्रदेश में कुछ सालों से सभी परिवारों को एक परिवार आई.डी.और परिवार के समस्त सदस्यों को समग्र सदस्य आई.डी प्रदान कर दी है.ये सभी जानकारी मध्य प्रदेश के समग्र पोर्टल पर मौजूद हैं.अब राज्य सरकार की लगभग सभी योजनाओं का लाभ पात्र हितग्राहियों को समय पर मिल रहा है.इससे सबसे बड़ा लाभ ये हुआ है कि,एक व्यक्ति का नाम अब मध्य प्रदेश में एक ही जगह रह सकता है,व्यक्तियों के नामों का दोहराव नही हो रहा है,इससे शासन के पास भी सही आंकड़े पहुच रहै हैं.ये समग्र सदस्य आई.डी स्कूली बच्चों की भी है,इसी आई.डी के माध्यम से बच्चों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिलता है.
हर साल मेपिंग की ज़रूरत क्या है?
                   स्कूली बच्चों की क्लास अपडेशन का कार्य और परीक्षा परिणाम के फीडिंग का कार्य हर साल होता है,सबसे ज़रूरी काम है छात्र प्रोफाइल का काम,जिससे हर साल बच्चों को छात्रविरत्ति प्राप्त होती है,सरकारी और निजी स्कूलों का यही काम हर साल समय पर नही हो पाता है,आज कल इसी काम को लेकर माथा पच्ची चल रही है,अनेकों स्कूलों ने समय पर यह कार्य नही किया है,जिससे बच्चों को अभी तक छात्रविरत्ति प्राप्त नही हुई है.अब क्यों कि,मेपिंग प्रोफाइल को पूरा करने का अल्टी मेटम मिल गया है,इस कारण शिक्षक मेपिंग की माथा पच्ची में लगे हुए हैं.ऊपर से समग्र पोर्टल के बन्द हो जाने अथवा धीमा चलने से ये काम और प्रभावित होता है.
इस सम्बन्ध में शिक्षकों का कहना ये है कि,बार-बार आवेदन करने का कोई औचित्य नही है.ये सब ऑटोमेटिक अपडेट होना चाहिए.और छात्र प्रोफाइल भी केवल एक बार ही बनना चाहिए.

सोमवार, 17 अक्टूबर 2016

फ्री साईकिल वितरण....

बच्चों को मिली साईकिल

           सरकारी स्कूलों में उन बच्चों को साईकिल सरकार द्वारा फ्री में दी जाती है जो अपने घरों से दूर स्थित मिडिल और हाईस्कूलों में पड़ने के लिए जाते हैं.शासन की भी मनशा है कि,बच्चे हर हाल में अपनी आगे की पढ़ाई जारी रख सकें.और उनकी मिडिल से लेकर हायर सेकण्डरी तक की पढाई में कोई बाधा न आये,शासन की अनेक कल्याणकारी और छात्र हित वाली योजनाओं का लाभ बच्चों को मिल रहा है.इसी क्रम में कसबाताल जनशिक्षा केंद्र के जनशिक्षक ओमकार सिंह रघुवंशी चित्र में बच्चों को निशुल्क साइकिल वितरित करवाते हुए दिखाई दे रहे हैं.शासन ने साइकिल वितरण व्यवस्था में इसी साल से परिवर्तन किया है,जिसका लाभ अब बच्चों को सीधे तोर पर प्राप्त हो रहा है,मध्य प्रदेश सरकार की प्रशंसा भी की जा रही है.

अध्यापक शहडोल रैली

 खबर ये है कि,अध्यापकों ने अपनी प्रस्तावित रैली शहडोल में आयोजित की है,ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था कि,गड़ना पत्रक जारी होने के बाद अध्यापकों की शहडोल रैली निरस्त कर दी जायेगी,किन्तु खबरों के मुताबिक़ ऐसा नही हुआ,अध्यापकों ने न सिर्फ रैली की,बल्कि ताज़ा जारी गड़ना पत्रक की विसंगतियों को भी दूर किये जाने की भी मांग की,साथ ही अध्यापक नेताओं द्वारा अध्यापकों की मूल मांग,शिक्षा विभाग में संविलियन शीघ्र किये जाने की मांग भी की.हालांकि गड़ना पत्रक जारी होने से अध्यापकों के तेवर उतने सख्त नही थे,जितने की उम्मीद की जा रही थी,अध्यापकों की इस रैली से राज्य सरकार अध्यापकों से नाराज़ दिखाई दे रही है,सरकार ने सोचा था कि,गड़ना पत्रक जारी होने से,अध्यापक अपना आंदोलन समाप्त कर देंगे.किन्तु अध्यापकों की शहडोल रैली से राज्य सरकार खफा होती दिख रही है.इस बीच आम अध्यापक का कहना ये है कि,अध्यापक नेताओं को वर्तमान जारी गड़ना पत्रक अनुसार अक्टूबर माह के वेतन का भुगतान करा लेना चाहिए,और विसंगतियों को इसके बाद दूर कराने के प्रयास करने चाहिए,मध्य प्रदेश में अध्यापक संवर्ग बहुत बड़ी तादाद में हैं,जिसके कारण अलग अलग राय इस सम्बन्ध में निकल कर सामने आरही है.अभी जो गड़ना पत्रक जारी हुआ है वह शहरी अध्यापकों के लिए है,ग्रामीण अध्यापकों को अभी आदेश का इंतेज़ार है.देखते हैं क्या अध्यापकों को अक्टूबर का वेतन,वर्तमान जारी गड़ना पत्रक अनुसार मिल पाता है अथवा नही....

रविवार, 16 अक्टूबर 2016

जनशिक्षक काउंसलिंग करा सकते हैं.....

जनशिक्षक चाहें तो काउंसलिंग हो सकती है...
          प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत ऐसे जनशिक्षक जिनकी प्रतिनियुक्ति अवधि पूर्ण हो चुकी है और उन्हें अब स्कूलों की और वापिस लौटना है,वह चाहें तो काउंसलिंग के माध्यम से अपने मन माफ़िक़ स्कूल में अपनी पदस्थापना करा सकते हैं
केसे अपनी मर्ज़ी से स्कूल चुन सकते हैं?
          वर्तमान कार्यरत जन शिक्षकों को अच्छी खबर ले कर आया है ज़िला शिक्षा अधिकारी का वह आदेश जिसमें स्कूलों में रिक्त और अतिशेष शिक्षकों की जानकारी का उल्लेख है,पत्र में स्पष्ट लिखा है कि प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत कर्मचारी की मूल शाला को भरी हुई न दिखाई जाये,बल्कि रिक्त मानी जाये,और जो जहां प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत है उसे वही पदस्थ मानकर,उसकी पदस्थ शाला को रिक्त माना जाये.
जनशिक्षकों को क्या लाभ है?
                     अब जनशिक्षकों को चाहिए कि वह 24 अक्टूबर से पहले अपने प्राचार्य के माध्यम से अपनी पदस्थ संस्था की रिक्त स्थानों की जानकारी ज़िले में भेंजे,जिससे काउंसलिंग हो सके.
ये सब करने की क्या ज़रूरत है?
                 ये सब करने की ज़रूरत इसलिए है कि,अभी जनशिक्षकों की पदस्थ संस्था भरी हुईं मानी जा रही है,इसलिए प्रतिनियुक्ति से लौटकर सम्बंधित को अपनी पदस्थ संस्था में ही भेजे जाने की बात हो रही है,जब सम्बंधित अपनी पदस्थ संस्था में उनकी जगह को रिक्त भेजेंगे तो,निष्चित रूप से काउंसलिंग होगी,और जब काउंसलिंग होगी तो,आप अपने मन माफ़िक़ स्कूल को चून सकते हैं....खेर देखते हैं सम्बंधित इस लेख को कितना घम्बीरता से लेते हैं....

शनिवार, 15 अक्टूबर 2016

गढ़ना पत्रक का सच क्या है?

गड़ना पत्रक का सच क्या है?
            आज जारी हुए सोशल मीडिया के गड़ना पत्रक पर अलग अलग टिप्पड़ियां और प्रति क्रियाएं देखने को मिल रही हैं.कुछ अध्यापक इस गढ़ना पत्रक के स्वागत में नतमस्तक हैं जबकि कुछ अनुभवी अध्यापक इसमें भी विसंगति बता कर शहडोल जाने की बात कर रहे हैं और कुछ को तो इस गढ़ना पत्रक के सही होने पर भी सन्देह है.सन्देह करने वालों का तर्क यह है कि,आज शनिवार को अवकाश के दिन गढ़ना पत्रक केसे जारी हो गया,कुछ अध्यापक और आगे की बात कर रहे हैं और कह रहे हैं कि ये गढ़ना पत्रक एजुकेशन पोर्टल पर क्यों नही है.कुछ अध्यापक कह रहे हैं ये तो केवल,नगरीय निकाय में कार्यरत अधापकों के लिए है. अलग अलग अध्यापकों के अलग अलग तर्क और वितर्क हैं.पर सबसे निराली बात अध्यापक नेताओं की है उनमें अभी से श्रेय लेने की होड़ लग गई है.बात जो भी है आने वाले दिनों में ये तस्वीर भी साफ हो जायेगी कि,ये गढ़ना पत्रक असली है या सिर्फ भिरम फेलाया जा रहा है.रही बात गढ़ना पत्रक की विसंगति की तो,इसकी विसंगति भी साल दो साल में दूर हो ही जायेगी.जेसी सरकार की मनशा हो.अभी फिलहाल तो अध्यापकों को सरकारी तोर पर गढ़ना पत्रक जारी होने के सबूत चाहिए.फिर जा कर उस पर चिंता की जाने की ज़रूरत है कि,अब उसमें कितनी विसंगति है.अभी से हाय तोबा मचाने की और मिठाइयां बटवाने की ज़रूरत नही है.कुछ अध्यापक गढ़ना पत्रक का अध्ययन किये बगैर ही सोशल मीडिया पर ज़रूरत से ज़्यादा उत्साह दिखा भी रहे हैं,उनका उत्साह भी जायज़ है.......कब से इस गढ़ना पत्रक का इंतेज़ार हो रहा था.....अब आया है...या भिरम है या....हक़ीक़त है...समय ही बताएगा.....

निःशुल्क साइकिल वितरण

निःशुल्क साइकिल वितरण

         सरकार स्कूली बच्चों को अनेक प्रकार की लाभकरी योजनाओं से जोड़ रही है.जिसमें निःशुल्क गड़वेश,छात्रव्रत्ति आदि योजनाएं ऐसी हैं जिनका लाभ स्कूली बच्चों को मिल रहा है.पर देखने में यह आया है कि योजना के क्रियान्वयन के तरीके में बार बार बदलाव किये जाने से भी योजना एक मज़ाक बन कर रह जाती है.
गड़वेश,साइकिल दी जाती थी
               स्कूली बच्चों को प्रारम्भ में गड़वेश और साइकिल शाला प्रबन्धन समिति क्रय कर के देती थी.योजना भी सफल थी बच्चों को समय पर ड्रेस और साइकिल मिल जाती थी बच्चे भी समय पर मिल रही सुविधाओं से प्रसन्न थे.किन्तु इस व्यवस्था पर भी लोगों ने आपत्ति उठाई और शासन ने इस व्यवस्था में बदलाव कर दिया.बच्चे साइकिल और गड़वेश से वंचित हो गए.
 वंचित क्यों हुए:-
                सरकार ने निर्णय लिया कि अब साइकिल और गड़वेश की राशि सीधे बच्चों के खातों में जमा की जायगी जिसका परिणाम ये हुआ कि गड़वेश साइकिल की राशि का दुरुपयोग होने लगा.पालक उस राशि का प्रयोग अपने निजी कार्यों में करने लगे,और बच्चे साइकिल,गड़वेश के लिए तरसते रहे.
आखिर कार सरकार तक भी ये बात गई.सरकार की तो साफ मनशा थी कि,सम्बंधित योजना का लाभ पात्र हितग्राही को मिल सके,किन्तु जब सरकार को भनक लगी कि,योजना के क्रियान्वयन में खामी है तो सरकार ने फिर बदलाव किया है.खास कर साइकिल के मामले में तो सरकार ने सकारात्मक कदम उठाते हुए निर्णय लिया के अब स्कूली बच्चों को साइकिल के लिए राशि नही दी जायगी,बल्कि साइकिल ही दी जायेगी.राज्य सरकार की इस नई व्यवस्था ने छात्र एवं छात्राओं के चेहरों पर मुस्कान ला दी है.अब हर पात्र स्कूली छात्रों को निशुल्क साइकिल वितरण का कार्य मध्य प्रदेश में हो रहा है.

शुक्रवार, 14 अक्टूबर 2016

यस टॉयलेट....

सरकारी स्कूल में पड़ते बच्चे

                सरकारी स्कूल भी अब निजी स्कूलों के कदम से कदम मिलाकर चलते हुए दिखाई पड़ते हैं.आप ने सरकारी और निजी स्कूलों में बच्चों को पड़ते हुए देखा होगा.और ये भी देखा होगा कि सरकारी और निजी स्कूलों में बच्चों की पढाई का स्तर क्या है? चलिए ये अलग विषय है हम बात कर रहे हैं केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाये जा रहे सुवच्छता अभियान की.मध्य प्रदेश के लगभग सभी सरकारी स्कूलों में सरकार ने शौचालय बनवा दिए हैं.सरकार की मनशा भी साफ है कि जनता में टॉयलेट का प्रयोग करने की आदत विकसित की जाये.सरकार इसके लिए अपने तरीके से प्रयास भी कर रही है.
 टॉयलेट की जानकारी एकत्रित 
           मध्य प्रदेश में राज्य सरकार स्कूली बच्चों से उनके घर में टॉयलेट है या नही की जानकारी एकत्रित कर रही है,साथ ही स्कूल के शिक्षक से भी यही जानकारी ली जा रही है.सम्भवतः जिनके यहां शौचालय नही होगा वहां शौचालय बनवाने हेतु जागरूक किया जायेगा.
यस टॉयलेट 
                   आप ने स्कूलों में बच्चों को यस टीचर ,यस सर,यस मेम आदि शब्द बोलकर हाज़री  बोलते हुए सुना होगा,अब खबर यह है कि,सरकारी स्कूलों के बच्चे "यस टॉयलेट" और नो टॉयलेट कहते हुए सुनाई देंगे.ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि,सरकार सुवच्छता को बढ़ावा देने के लिए बच्चों के हाज़री बोलने के तरीके में बदलाव कर सकती है.अब जल्द ही बच्चे राज्य के कुछ ज़िलों में सम्भवता यस टीचर के स्थान पर यस टॉयलेट या नो टॉयलेट  के रूप में स्कूलों में अपनी हाज़री बोलेंगे.सरकार सुवच्छता अभियान के तहत चाहती है कि,प्रत्येक घर में टॉयलेट बने और उसका प्रयोग भी किया जाये.अब देखना यह है कि,सरकार की इस नीति के परिणाम क्या निकलते हैं

डी.एड की मांग

                          मध्य प्रदेश में पिछले कुछ सालों से डी.एड की मांग कुछ ज़्यादा ही बड़ गई है.जब से शिक्षा का अधिकार क़ानून लागू हुआ है तब से व्यवसायिक प्रशिक्षण की अहमियत लोगों के समझ में आने लगी है एक ज़माना था जब ज़िला प्रशिक्षण संस्थानों में डी.एड करने वाले आवेदकों की कमी होती थी और निर्धारित सीटें भी बड़ी मुश्किल से भर पाती थी.
 डी.एड की मांग क्यों बड़ी? 
               मध्य प्रदेश में संविदा शिक्षक पात्रता परीक्षा वर्ग-2 एवं 3 में डी.एड की अनिवार्यता के कारण भी इस डिप्लोमा की मांग बड़ गई है.आवेदक हज़ारों रुपये खर्च करके डी.एड की डिग्री प्राप्त कर रहे हैं.बड़ी मशक्कत के बाद डी.एड में प्रवेश मिल पाता है.पर इस बात का भी विश्वास होता है कि पात्रता परीक्षा में अच्छे अंक लाकर संविदा शिक्षक की नोकरी तो मिल ही जायगी.ये बात अलग है कि पिछली पात्रता परीक्षा में डी.एड की डिग्री वाले कई आवेदकों को नोकरी आज तक नही मिली

सहायक शिक्षकों के प्रमोशन में रोड़ा.....

                           

             सालों बाद मध्य प्रदेश सरकार सहायक शिक्षकों का प्रमोशन करने जा रही है.उल्लेखनीय बात यह है कि,राज्य सरकार ने लम्बे समय से सहायक शिक्षकों को प्रमोशन नही दिया है.इनमें से कई तो प्रमोशन की आस में अपनी पूरी सर्विस कर के घर बेठे हुए है.सहायक शिक्षकों के प्रमोशन की मांग बहुत वर्षों से की जा रही थी किन्तु इस और किसी का ध्यान नही था.यहां ये भी बताना ज़रूरी है कि,मध्य प्रदेश में अब इस पद नाम से नवीन कोई भर्ती नही होती है.सालों पहले सहायक शिक्षकों का अंतिम बेच स्कूलों में आया था.उसके बाद मध्य प्रदेश में अनेक नामों से शिक्षा विभाग में शिक्षकों की भर्तियां की,किन्तु उन्हें शिक्षा विभाग का कर्मचारी नही माना.
दिक़्क़त क्या है.?
                         अब खबर ये है कि,राज्य सरकार जल्द ही सहायक शिक्षकों को प्रमोशन देकर शिक्षक बनाने वाली है इसका विरोध अध्यापकों द्वारा सीधे तोर पर तो नही किया जा रहा है किन्तु अध्यापकों का ये मानना है कि सहायक शिक्षकों के प्रमोशन के पद तो सरकार ने मृत घोषित कर रखे हैं,अब अगर सहायक शिक्षकों को प्रमोशन दिया गया तो उससे अध्यापकों का हक़ मारा जायेगा





तर्क क्या है........
          अध्यापकों का तर्क ये है कि अधायपकों के पदों पर पहले अध्यापकों को प्रमोशन दिया जाये.अध्यापक नेताओं का तो यहाँ तक कहना है कि सरकार अध्यापकों के साथ दोहरी नीति अपना रही है न तो अध्यापकों का शिक्षा विभाग में संविलियन किया जा रहा है और न ही अध्यापकों को छठवां वेतन मान दिया जा रहा है.खेर बात हो रही थी सहायक शिक्षकों के प्रमोशन की,अब देखते हैं शासन सहायक शिक्षकों के चेहरों पर मुस्कान कब बिखेरती है.

वहीं सहायक शिक्षकों को लग रहा होगा कि अध्यापक उनके प्रमोशन में रोड़ा बने हुए हैं.सरकार के संकेतों से तो लग रहा है कि इस बार सहायक शिक्षकों के प्रमोशन में सरकार कोई अड़चन नही आने देगी.

गुरुवार, 13 अक्टूबर 2016

अवकाश का आनन्द...

                         लम्बी छुट्टी के बाद आज से स्कूल खुलेंगे.अवकाश का आनन्द लेने के बाद आज से बच्चे भी स्कूलों में लौटेंगे.सही मायनों में बच्चों से ही स्कूलों में रौनक होती है.आज से बच्चों की पढ़ाई प्रारम्भ होगी.दशहरे का पर्व मनाने के पश्चात दीपावली के पर्व की चर्चाएं होने लगती है.वास्तव में सभी कों इस पर्व का इंतेज़ार रहता है.
अक्टूबर का वेतन अक्टूबर में



इधर मिशन में जनशिक्षक अवकाश के दिनों में भी व्यस्त रहे.कुछ शाला प्रभारी साइकिल की ऑनलाइन एंट्री कराते हुए दिखाई दिए,तो कुछ अन्य काम करते हुए नज़र आये.जनशिक्षकों को कल ही मेसेज मिल गया था कि,आज बेस लाइन सर्वे की जानकारी फीड कराएं.

बुधवार, 12 अक्टूबर 2016

अक्टूबर का वेतन अक्टूबर में

      त्यौहारी सीज़न में कर्मचारियों के लिए राहत की खबर है.मध्य प्रदेश सरकार ने त्यौहारों को देखते हुए अक्टूबर माह का वेतन अक्टूबर में ही देंने का निर्णय लिया है.सरकार के इस क़दम की कर्मचारी वर्गों द्वारा प्रशंसा की जा रही है.दशहरे के पर्व के बाद एक और महत्वपूर्ण पर्व दीपावली नज़दीक है,इसको देखते हुए शासन ने ये निर्णय लिया है कि,अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में कर्मचारियों को वेतन दे दिया जायेगा.सरकार के इस निर्णय की प्रशंसा अध्यापक भी कर रहे हैं.अध्यापकों का कहना है कि,सरकार और कर्मचारियों के अच्छे ताल मेल से ही अच्छा शासन किया जा सकता है.अध्यापकों का कहना है कि,प्रदेश के मुखिया को अध्यापकों के हितों का ध्यान रखते हुए,दीपावली पर अध्यापकों को छठवें वेतन मान की सौगात भी दे ही दें.गौरतलब बात यह है कि अध्यापक लम्बे समय से शिक्षा विभाग में संविलियन और छठवां वेतन मान दिए जाने की मांग कर रहे हैं.शासन को भी अध्यापकों की इस मांग पर विचार कर के जल्द निर्णय लेना चाहिए.जिससे अध्यापक चिंता मुक्त होकर तनाव रहित वातावरण में प्रदेश के नोनिहालों को शिक्षा दे सकें.जिससे प्रदेश का शेक्षणिक स्तर प्रगति करे.और सम्पूर्ण देश में प्रदेश अपना एक अलग मुक़ाम बनाये।

मंगलवार, 11 अक्टूबर 2016

suvachhta.com : बुराई पर अच्छाई की जीत....

suvachhta.com : बुराई पर अच्छाई की जीत....

बुराई पर अच्छाई की जीत....

                दशहरे का दिन बड़ी प्रसन्नता का दिन होता है।लोगों द्वारा बधाइयों और शुभकामनाओं का आदान प्रदान किया जाता है.इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है.एक बात हमारे देश में बहुत खास है और वह यह है कि,त्यौहार कोई भी हो,उसे बड़े ही हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है.वेसे भी हमारे देश को अगर त्यौहारों का देश कहें तो,गलत नही होगा.अनेकता में एकता वाले इस देश की आत्मा त्यौहारों में ही बस्ती है.इतने धर्म,ज़ाति,सम्प्रदाय और रहन-सहन और खान-पान में अंतर होते हुए भी,यह देश एकता के सूत्र में बंधा हुआ है.इसका एक कारण आपसी भाई चारा और मिल जुल कर तीज- त्यौहार मनाना भी है.आज हम बात कर रहे थे,दशहरे के पर्व की.दशहरा प्रत्येक वर्ष आता है,और इस पर्व के दिन हम ये ठान लेते हैं कि,अपने अंदर की बुराइयों को समाप्त कर के अच्छाइयों की और आगे बढ़ेंगे.वास्तव में यह त्यौहार भी हमें बुराई पर अच्छाई की जीत का महत्व समझाता है,और हमें इसके महत्व को समझना भी चाहिये।इस लेख के माध्यम से सभी साथियों,मित्रों,सहयोगियों,सहपाठियों और देश वासियों को दशहरे के पर्व  की शुभकामनाएं.

सोमवार, 10 अक्टूबर 2016

तेवर ज़रा सख़्त हो गए हैं.....

                      अध्यापक उस गढ़ना पत्रक का इंतेज़ार कर रहे हैं जिसका कहीं अता पता नही है.अध्यापक नेताओं द्वारा भी सोशल साईट पर इस प्रकार की खबरें प्रचारित एवं प्रसारित की जा रही हैं कि,उस तिथि एवं समय की वेतन पत्रक जारी हो जायेगा,और जब तिथि और समय निकल जाता है तो,अध्यापक निराश हो जाते हैं.कहने का प्रयास ये है कि,जब वास्तविक रूप से कोई काम हो जाये तब ही उसका प्रचार प्रसार किया जाये.आज कल तो समाचार पत्रों में भी अध्यापकों की मांगों से सम्बंधित खबरें पढ़ने को नही मिल रही हैं.इस सम्बन्ध में सरकार का पक्ष भी सामने नही आ रहा है.सरकार का पक्ष भी सामने आना चाहिए.प्रदेश के मुखिया को दीपावली के पर्व को को ध्यान में रखते हुए,अध्यापकों को छटवें वेतनमान की सौगात दे ही देना चाहिए.जिससे इस दीपावली पर अध्यापकों के घर भी रोशन हो सकें.कुछ अध्यापक तो twitter पर बहुत आक्रामक दिखाई दे रहे हैं.छठवां वेतन नही मिलने से उनके विचार और तेवर ज़रा सख्त हो गए हैं.अब सरकार को अध्यापकों के हितों की रक्षा करते हुए शीघ्र अध्यापक हित में निर्णय लेना चाहिए।