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बुधवार, 14 सितंबर 2016

शिक्षा विभाग के आंकड़े

                      मध्य प्रदेश के सन्दर्भ में बात कर रहा हूँ।शासकीय स्कूलों में आंतरिक और बाहा मूल्यांकन से प्रारम्भिक शिक्षा के ज्ञान का स्तर जांचा जा चुका है।अब टीमें बना कर ये जांचने की तैयारी चल रही है कि,जो पहले जांचा गया था,वह सही है क्या?जनशिक्षकों को भी इस काम में लगाया गया है।सिरोंज के कुछ जनशिक्षकों का मानना है कि,प्रसिद्ध स्थल रायसेन ज़िले के साँची विकास खण्ड में ये कार्य व्यवस्थित तरीके से किया जा रहा है।इसके पीछे उनके अपने तर्क हैं।बात जो भी हो।प्राथमिक शिक्षा में प्रयोग किये जाने की बात मैंने अपने पिछले लेख मे की थी।अभी भी केवल आंकड़े एकत्रित करने की बात हो रही है।किसी प्रयोग के लिए ये जानना आवश्यक होता है कि,कितना काम हो गया और कितना बाक़ी है।और अब हमें कहाँ से शुरू करना है।पर शिक्षा विभाग में कोई सकारात्मक शुरआत नही हो पा रही है।केवल आंकड़े एकत्रित होते रहते हैं।इन आंकड़े बाज़ी से शिक्षक भी परेशान हैं।वह पढाएं या आंकड़े एकत्रित करें,ये बात उन्हें भी शायद समझ नही आती होगी।क्योंकि शिक्षकों से लिखा पड़ी इतनी करायी जाती है कि उन्हें बच्चों को पड़ाने का समय मिल पाता होगा या नही,ये वोह ही बता पाएंगे।आप को क्या लगता है ये व्यवस्था ठीक है क्या? लिखियेगा।