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गुरुवार, 15 सितंबर 2016

शिक्षकों से शिक्षा की उम्मीद

   
                      शिक्षा विभाग अपने मूल काम से दूर जाता दिखाई दे रहा है।शिक्षकों से शिक्षा की उम्मीद की जा रही है।अधिकारी स्कूलों का सतत निरीक्षण कर रहै हैं।स्कूलों को निर्देश दे रहे हैं कि,वह व्यवस्था में सुधार लाएं।बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दें।उनकी दक्षताओं और कोशलों में विकास कराएं।पर बात बनती दिख नही रही है।प्राथमिक शिक्षा की शासकीय स्कूलों में स्तिथि ज़्यादा ठीक नही है।इसके लिए सारा दोश शिक्षकों पर भी नही मड़ा जा सकता है।हर स्कूल की अपनी परिस्तिथि और समस्या है।पहले शासकीय स्कूलों की समस्याओं और ज़रूरतों की तरफ ध्यान देना होगा।शिक्षकों की समस्याओं का निदान करना होगा।फिर जब शिक्षक तनाव मुक्त रहेगा तो,परिणाम भी अच्छे देगा।बात को समझने की ज़रूरत है।ये सरकारी स्कूलों की शिक्षा में एक दो दिन में सुधार होने वाला नही है इसके किये दूरगामी नीति बनाने की ज़रूरत है।चित्र में विकासखण्ड स्त्रोत समन्वयक और उनकी टीम एक सरकारी स्कूल का निरीक्षण करते हुए दिखाई दे रहे हैं।ऐसे सतत निरीक्षणों की भी आवश्यकता है।और निरक्षण में दिए गए निर्देशों का पालन हुआ कि नही ये भी देखने की ज़रूरत है