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शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2016

यस टॉयलेट....

सरकारी स्कूल में पड़ते बच्चे

                सरकारी स्कूल भी अब निजी स्कूलों के कदम से कदम मिलाकर चलते हुए दिखाई पड़ते हैं.आप ने सरकारी और निजी स्कूलों में बच्चों को पड़ते हुए देखा होगा.और ये भी देखा होगा कि सरकारी और निजी स्कूलों में बच्चों की पढाई का स्तर क्या है? चलिए ये अलग विषय है हम बात कर रहे हैं केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाये जा रहे सुवच्छता अभियान की.मध्य प्रदेश के लगभग सभी सरकारी स्कूलों में सरकार ने शौचालय बनवा दिए हैं.सरकार की मनशा भी साफ है कि जनता में टॉयलेट का प्रयोग करने की आदत विकसित की जाये.सरकार इसके लिए अपने तरीके से प्रयास भी कर रही है.
 टॉयलेट की जानकारी एकत्रित 
           मध्य प्रदेश में राज्य सरकार स्कूली बच्चों से उनके घर में टॉयलेट है या नही की जानकारी एकत्रित कर रही है,साथ ही स्कूल के शिक्षक से भी यही जानकारी ली जा रही है.सम्भवतः जिनके यहां शौचालय नही होगा वहां शौचालय बनवाने हेतु जागरूक किया जायेगा.
यस टॉयलेट 
                   आप ने स्कूलों में बच्चों को यस टीचर ,यस सर,यस मेम आदि शब्द बोलकर हाज़री  बोलते हुए सुना होगा,अब खबर यह है कि,सरकारी स्कूलों के बच्चे "यस टॉयलेट" और नो टॉयलेट कहते हुए सुनाई देंगे.ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि,सरकार सुवच्छता को बढ़ावा देने के लिए बच्चों के हाज़री बोलने के तरीके में बदलाव कर सकती है.अब जल्द ही बच्चे राज्य के कुछ ज़िलों में सम्भवता यस टीचर के स्थान पर यस टॉयलेट या नो टॉयलेट  के रूप में स्कूलों में अपनी हाज़री बोलेंगे.सरकार सुवच्छता अभियान के तहत चाहती है कि,प्रत्येक घर में टॉयलेट बने और उसका प्रयोग भी किया जाये.अब देखना यह है कि,सरकार की इस नीति के परिणाम क्या निकलते हैं