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शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2016

डी.एड की मांग

                          मध्य प्रदेश में पिछले कुछ सालों से डी.एड की मांग कुछ ज़्यादा ही बड़ गई है.जब से शिक्षा का अधिकार क़ानून लागू हुआ है तब से व्यवसायिक प्रशिक्षण की अहमियत लोगों के समझ में आने लगी है एक ज़माना था जब ज़िला प्रशिक्षण संस्थानों में डी.एड करने वाले आवेदकों की कमी होती थी और निर्धारित सीटें भी बड़ी मुश्किल से भर पाती थी.
 डी.एड की मांग क्यों बड़ी? 
               मध्य प्रदेश में संविदा शिक्षक पात्रता परीक्षा वर्ग-2 एवं 3 में डी.एड की अनिवार्यता के कारण भी इस डिप्लोमा की मांग बड़ गई है.आवेदक हज़ारों रुपये खर्च करके डी.एड की डिग्री प्राप्त कर रहे हैं.बड़ी मशक्कत के बाद डी.एड में प्रवेश मिल पाता है.पर इस बात का भी विश्वास होता है कि पात्रता परीक्षा में अच्छे अंक लाकर संविदा शिक्षक की नोकरी तो मिल ही जायगी.ये बात अलग है कि पिछली पात्रता परीक्षा में डी.एड की डिग्री वाले कई आवेदकों को नोकरी आज तक नही मिली