शुक्रवार, 30 सितंबर 2016

सुवच्छता पखवाड़ा.....


                आज जनपद पंचायत सिरोंज में वी.सी. आयोजित की जा रही है जिसमें सम्बंधित अधिकारी कर्मचारी सम्मिलित है।शासन वी.सी.के माध्यम से अपने विभागों के कार्यों और योजनाओं की समीक्षा करने लगा है,जिससे कम समय में अधिक लोगों से चर्चा हो जाती है जनता में भी यह लोकप्रिय है।इस बैठक में जनपद शिक्षा केंद्र का अमला भी सम्मिलित है।



         बैठक में सम्बंधितों को आवश्यक निर्देश दिए जा रहे हैं।जिसमें 2 अक्टूबर से सुवच्छता पखवाड़ा मनाये जाने के भी निर्देश हैं

तनाव.....भी एक मुद्दा है क्या ?


                 आज की भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी में व्यक्ति के पास अपने और अपने परिवार तक के लिए समय नही है।आज कल के समाजिक रिशते भी व्यक्ति नही निभा पाता है।लगभग हर व्यक्ति ने तनाव में रहने की आदत बना ली है।किसी को काम की अधिकता होने से तनाव है,और किसी को काम नही होने से तनाव है।हम हमारे आस पास नज़रें दौड़ाकर देख़ें तो,हमें अनेक लोग ऐसे मिल जायेगें जो तनाव में रहने के आदि हो चुके हैं।फिर भी ऐसे लोगों की कमी नही है जो दूसरों को खुशी देकर खुश होते हैं।ऐसे लोग भी बहुत हैं जो अपने दुख से ज़्यादा दूसरे के दुखों से दुखी हैं।कुछ लोग कहते हैं ये आधुनिकता, ये अविष्कार,ये सब सहूलियतें बेकार है।पूर्व में लोगों को एक दूसरे से बात चीत करने का समय होता था।अपने सुख दुख अपनों से बांट कर व्यक्ति खुशी-खुशी अपना जीवन गुज़ार देता था।उस माहोल में व्यक्ति कभी तनाव में नही रहता था।तनाव की खास वजह व्यक्ति की आशाएं आवश्यकता से अधिक होना भी है।जब व्यक्ति सन्तुष्ट होकर जीना सीख लेता है तो,उसे कभी निराशा और तनाव का सामना नही करना पड़ता है।कुछ जानकार मानते हैं कि,व्यक्ति कभी कभी किसी विशेष पद पर बने रहने से भी तनाव में रहता है,उसको डर रहता है कि,उसका पद चला न जाये।और ये ही तनाव का कारण बन जाता है।खैर बात जो भी हो हमें अपना जीवन सन्तुष्ट होकर व्यतीत करना चाहिए।आवश्यकता पड़ने पर अन्य व्यक्तियों का सहयोग भी करना चाहिए।हमें हर वोह कार्य करना चाहिए,जिससे हमारी आत्मा प्रसन्न रहे।तनाव को भगाने का सबसे बेहतर उपाय है छोटी-छोटी खुशियां एन्जॉय करना चाहिए।दूसरे की मदद करके भी हमें सुकून और तनाव मुक्त जीवन जीने का होसला मिलता है।आप क्या सोचते हैं कि क्या इस दुनिया में तनाव से पीड़ित कोई नही है या तनाव भी एक ऐसा मुद्दा है जिस पर बात करने की गुंजाइश है......जो भी हो आप अपने विचार और अनुभव तनाव के सम्बन्ध में ज़रूर साझा कीजियेगा।

गुरुवार, 29 सितंबर 2016

नवीन जनशिक्षक प्रतिनियुक्ति.....


               नवीन जनशिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की प्रकिर्या प्रारम्भ हो रही है।ज़िले से इस सम्बन्ध में काउंसलिंग किये जाने के आदेश जारी कर दिए गए हैं
विदिशा ज़िले में 4 अक्टूबर एवं 5 अक्टूबर की तारीख काउंसलिंग हेतु निश्चित की गई है।
गौरतलब बात ये है कि जनपद शिक्षा केंद्र का पूरा का  पूरा अमला ही प्रति नियुक्ति पर कार्यरत है।लगभग चार वर्ष पूर्व जनशिक्षक और बी ए सी के पदों पर प्रतिनियुक्ति की गई थी।अब इन कर्मचारीयों की प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त हो चुकी है।वर्ष भर पूर्व से नवीन प्रतिनियुक्ति की प्रकिर्या चल रही थी।बीच में कुछ अध्यापक कोर्ट चले गए थे।तथा अन्य कारणों से ये प्रतिनियुक्ति नही हो पाई थी।जनशिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की प्रकिर्या चर्चा का विषय बनी हुई है।वर्तमान जनशिक्षक असमंजस मे हैं कि उनका क्या होगा ?उनको उनकी मूल संस्था में भेजा जायेगा या उनकी भी काउंसलिंग की जायेगी? जो भी हो, वर्तमान को अपने कार्य मुक्ति आदेश का इंतेज़ार है, वहीं नवीन संभावितों को काउंसलिंग का।
अब देखना ये है कि नवीन जनशिक्षकों को काउंसलिंग उपरान्त आदेश कितने समय में मिलते हैं।

आज से नि:शुल्क प्रवेश प्रारम्भ.....


                        आज से अशासकीय स्कूलों में नि:शुल्क प्रवेश का दूसरा चरण प्रारम्भ हो गया है।शिक्षा के अधिकार क़ानून के तहत अब निजी स्कूलों में भी बच्चे फ्री में पड़ सकते हैं।पूर्व में नि:शुल्क प्रवेश शाला स्तर पर किये जाते थे।किन्तु इस वर्ष से शासन ने ये प्रक्रिया ऑन लाईन कर दी है।अब पालक अपने बच्चे का ऑन लाईन आवेदन करने के बाद जनपद शिक्षा केंद्र में नोडल अधिकारी से सत्यापन कराकर अपने बच्चे का निजी स्कूलों में प्रवेश करा सकेंगे।
आप जानते ही हैं कि नि:शुल्क प्रवेश के प्रथम चरण में अनेक बच्चे एडमिशन नही ले पाये थे।सभी पालकों को  इस चरण का इंतेज़ार था।अब ज़रूरत है समय पर ऑन लाईन आवेदन और नोडल सत्यापन की।सभी पालक जो निजी स्कूल में नि:शुल्क प्रवेश अपने बच्चों को दिलवाना चाहते हैं।उन्हें समय पर अपना काम कर लेना चाहिए।

बुधवार, 28 सितंबर 2016

शिक्षा समिति की बैठक......


             जनपद पंचायत सिरोंज में शिक्षा समिति की बैठक का आयोजन हुआ।जिसमें विकासखण्ड के अधिकारी,कर्मचारी विभाग प्रमुख सम्मिलित हुए।जनपद पंचायत की इस बैठक जनपद शिक्षा केंद्र का अमला भी सम्मिलित हुआ।


              गौरतलब बात यह है कि जनपंचायत की बैठक में शिक्षा विभाग की योजनाओं की विशेष तोर से समीक्षा की जाती है।ज़्यादातर शिकायतें मध्यान्ह भोजन में संलग्न समूह से सम्बंधित होती है।देखना ये है कि इस बैठक में दिए गए सुझावों और निर्देशों का कितनी कड़ाई से पालन किया जाता है।

मंगलवार, 27 सितंबर 2016

उत्कृष्ट में बैठक....


            विकासखण्ड सिरोंज के उत्कृष्ट विधालय में आज ज़िला शिक्षा अधिकारी बैठक लेते हुए।चित्र में दिखाई दे रहे हैं।बैठक में विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी श्री ओ.पी. विश्वकर्मा,विकासखण्ड स्त्रोत समन्वयक निखलेश कुमार श्रीवास्तव सहित समस्त प्राचार्य और जनशिक्षक बैठक में सम्मिलित हुए।बच्चों की मेपिंग को ले कर ज़िला शिक्षा अधिकारी नाराज़ हुए।उनका कहना था कि मेपिंग के कार्य में विकासखण्ड की स्तिथि ठीक नही है।30 सितम्बर तक पोर्टल पर छात्र प्रोफ़ाइल का काम पूरा करने के निर्देश ज़िला शिक्षा अधिकारी ने दिए।


              देखने वाली बात यह है कि प्रत्येक वर्ष बच्चों की जानकारी पोर्टल पर फीड होती है किन्तु अभी तक बहुत से बच्चों की समग्र आईडी नही होने से भी प्रत्येक वर्ष मेपिंग का कार्य पिछड़ता है।खेर अब ये देखने लायक होगा कि ज़िला शिक्षा अधिकारी की बैठक के बाद कार्य में तेज़ी आती है अथवा नही।

सोमवार, 26 सितंबर 2016

अध्यापकों के क़दमों से रोशन ज़िले की सड़कें...


                विगत दिवस ज़िला स्तर पर समस्त मध्य प्रदेश में अध्यापकों ने अपनी मांगो को मनवाने के लिए सफल आंदोलन किया।इस आंदोलन में समस्त ज़िलों में अध्यापकों ने बड़ चढ़ कर हिस्सा लिया।जिसका परिणाम है कि आज अखबारों के पेज आंदोलन से सम्बंधित खबरों से पटे पड़े हैं।सोशल साईट पर अनेकों तस्वीरें बिखरीं पड़ी हैं। facebook,whatsapp,twitter,google,पर अध्यापक ही अध्यापक नज़र आ रहे हैं 



                      अध्यापकों का उत्साह देखने लायक था।सम्पूर्ण मध्य प्रदेश की ज़िले की सड़कें अध्यापकों के क़दमों से रोशन थीं।महिला अध्यापकों ने भी इस आंदोलन में बड़ चढ़ कर हिस्सा लिया।कुछ जगह तो बारिश का मौसम भी अध्यापकों का उत्साह कम नही कर पाया।अध्यापक इस सफल आंदोलन से प्रसन्न हैं।किन्तु चिन्ता का विषय ये है कि सरकार की तरफ से अभी  तक अध्यापकों को कोई सकारात्मक संकेत नही मिले हैं।हो सकता है सरकार आंदोलन से खुश न हो।सरकार बात चीत से ही अध्यापकों के मुद्दे हल करना चाहती हो ? बात जो भी हो अध्यापकों का बार बार सड़कों पर उतरना उचित नही है।सरकार को चाहिए कि अध्यापकों की मांगो पर विचार करे।

मुण्डराघाट का निरीक्षण....


             शिक्षा विभाग में जैसे निरीक्षणों का दौर निकल चला है।जनशिक्षक भी लगातार स्कूलों का निरीक्षण कर रहे हैं।शालों की सतत मॉनिटरिंग की जा रही है ।विकासखण्ड अकादमिक समन्वयक निखलेश कुमार श्रीवास्तव भी सरकारी स्कूलों का सतत निरीक्षण करने के लिए जाने जाते हैं।इसी क्रम में बी आर सी निखलेश कुमार श्रीवास्तव ने आज प्राथमिक एवं माध्यमिक शाला मुण्डराघाट का निरीक्षण किया।शाला संचालन में सुधार हेतु सम्बंधित शाला प्रभारी को निर्देश दिए।सरकारी महकमे की सक्रियता से शिक्षा के स्तर में कुछ न कुछ सुधार होने के संकेत हैं

रविवार, 25 सितंबर 2016

ज़िले की सड़कों पर अध्यापक....


              अध्यापक समान कार्य और समान वेतन की अपनी प्रमुख मांग को शासन से मनवाने के लिए ज़िला स्तर पर आंदोलन कर रहे हैं।चित्र में सिरोंज के अनेक अध्यापक दिखाई दे रहे हैं।आज सुबह तड़के सिरोंज के अध्यापक ज़िले में आंदोलन में सम्मिलित होने के लिए अपने निजी वाहन से रवाना हुए।



          गौरतलब बात यह है कि अध्यापक ज़िले की इस रैली की तैयारी बहुत दिन से कर रहे थे।जिसका परिणाम यह हुआ कि आज ज़िला स्तर की रैली में बड़ी संख्या में अध्यापक सम्मिलित हुए।आप जानते ही हैं कि मध्य प्रदेश में अध्यापक शिक्षा विभाग में संविलियन और समान कार्य और समान वेतन की मांग को ले कर आंदोलन कर रहे हैं किन्तु उनकी मांगों पर विचार नही किये जाने से अध्यापक फिर से आंदोलन की राह पकड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं।उसी क्रम में आज मध्य प्रदेश के ज़िलों में,ज़िला स्तर पर अध्यापक आंदोलन कर के अपने आंदोलन की शुरुआत कर रहे हैं।अब देखना यह है कि ज़िला स्तर के इस आंदोलन का अध्यापकों की मांगों पर कोई प्रभाव पड़ता है अथवा नही ? अध्यापकों के तेवर तो यह बता रहे हैं कि यदि उनकी मांगों पर विचार नही किया गया तो,भाविष्य में उनका ये आंदोलन और भी बड़े स्तर पर हो सकता है।आज के आंदोलन में अध्यापकों की प्रशंसा की जानी चाहिए।उन्होंने आंदोलन के लिए रविवार का दिन चुना जिससे बच्चों की पढाई प्रभावित न हों....अब शासन को भी अध्यापकों की मांगों पर विचार कर उपयुक्त निर्णय लेना चाहिए।

जनशिक्षकों की सतत मॉनिटरिंग....


              सरकारी स्कूलों में बेहतर शैक्षणिक व्यवस्था हेतु लगातार निरीक्षण किये जा रहे हैं।इसी क्रम में जनशिक्षक ओमकार सिंह रघुवंशी ने आज शासकीय माध्यमिक शाला कसबाताल का निरीक्षण किया तथा सम्बंधित शाला प्रभारी को आवशयक दिशा निर्देश भी दिए।

        इधर रतनबर्री जनशिक्षा केंद्र के अंतगर्त आने वाले स्कूलों में जनशिक्षक ज़ाहिद मोहम्मद और जनशिक्षक देवी सिंह राजपूत ने शालाओं का निरीक्षण किया।सम्बंधित जनशिक्षकों ने मध्यान्ह भोजन समूह को मीनू अनुसार भोजन वितरित करने के निर्देश दिए।
गौरतलब बात यह है कि शासन सरकारी स्कूलों में बच्चों को तमाम सुविधाएं उपलब्ध करा रही है।किन्तु फिर भी सरकारी स्कूलों के बच्चों के शैक्षणिक स्तर में सुधार नही हो पा रहा है जो कि चिंता का विषय है।अब देखना यह है कि जनशिक्षकों के सतत मॉनिटरिंग से क्या कुछ सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेगें

शनिवार, 24 सितंबर 2016

नशे ने बहुत तरक़्क़ी है....


                    आज की युवा पीढ़ी नशे की लत में मस्त है।इस आधुनिक युग में नशे ने भी बहुत तरक़्क़ी की है।आज का युवा परम्परागत नशे से तो बहुत दूर है।आप जानते ही है।पहले बीड़ी,सिगरेट और शराब आदि चीजें नशे का प्रमुख स्त्रोत हुआ करती थी।पर जैसे जैसे दुनिया ने तरक़्क़ी की है।नशे ने भी अपना रूप रंग बदला है।


                 आज के इस आधुनिक युग में युवा ड्रग्स,कोकीन,अफ़ीम आदि नशीली चीज़ों का सेवन करने में लगे हुए हैं।सामान्य तोर पर दवाई के तोर पर प्रयोग की जाने वाली कोरेक्स को आज का युवा नशे के रूप में उपयोग कर रहा है।यह वह युवा है जो पड़ा लिखा है।नशे के अच्छे बुरे प्रभाव को आप और हम से बेहतर समझता है।इस प्रकार के जगरुक नशेलची युवाओं को समझाना बहुत मुश्किल होता है।

            नशा मुक्त समाज के लिए ज़रूरी है कि शासन और समाज मिलकर नशीले पदार्थों की तस्करी करने वालों के खिलाफ ज़रूरी उपाय खोजें।क्योंकि आज का युवा ही कल का भविष्य है।और हमारा ये नोजवान नशे के कारण खोखला और कमज़ोर हो रहा है।युवा नशे की लत के कारण धन दौलत के साथ ही अपना जीवन भी बर्बाद कर रहे हैं।सुखी सम्पन्न परीवार इन नशेलची युवाओं के कारण तबाह और बर्बाद हो रहे हैं।आप जानते ही हैं कि इस नशे की लत के कारण  युवा अपना सब कुछ खो देते हैं।फिर भी इनके पास नशा करने के लिए पैसे नही होते तो यह,चोरी,डकैती जैसे अपराधों में लिप्त हो जाते हैं।
समाज में एक धारणा बनी है कि यदि नशीली वस्तुओं पर सरकार प्रतिबन्ध लगा दे तो भी कुछ हद तक नशे पर कण्ट्रोल किया जा सकता है।बिहार जैसे कुछ उदाहरण हमारे सामने है जहां शराब पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है अब ये अलग विषय है कि,शराब पर प्रतिबन्ध लगाने से बिहार में शराब पीने वालों की संख्या बड़ी या घटी ? सभ्य समाज में नशे के लिए कोई स्थान नही है।लोगों का मानना है कि नशा अनेक बुराइयों की जड़ है।आधुनिक नशा तो और भी ज़्यादा खतरनाक है।आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि जो परिवार नशे की लत से दूर हैं वह सुखी सम्पन्न हैं।चिन्ता का विषय यह है कि गरीब तबक़ा भी इस नशे का आदि हो चुका है।कई घरों में परिवार का मुखिया जब शाम को नशा कर के घर आता है और दिन भर की मज़दूरी उसने अपने नशे में खर्च कर दी होती है।आप सोचिये विचार कीजिए ऐसे परिवारों के बच्चे क्या भूखे नही सोते होंगे ?
नशा भारतीय समाज में हमेशा से ही कमाऊ कूत विषय रहा है।इस विषय पर बनी फिल्में और गानों ने खूब कमाई की है।नशा शब्द ही हमेशा से बिकाऊ रहा है।पर हमें अपने समाज को जागरूक करने की ज़रूरत है।हमें हमारे नोनिहालों को नशे से दूर रखने के हर सम्भव प्रयास करना चाहिये।

ज़िला मुख्यालय पर करेंगे विरोध.....


                      ज़िला मुख्यालय पर अध्यापक अपनी मांगों को ले कर कल रैली निकालेंगे इसकी तैयारी का आज अंतिम दिन था।उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में अध्यापक लम्बे समय से शिक्षा विभाग में संविलियन की मांग कर रहे हैं।आप जानते ही हैं कि मध्य प्रदेश में सरकारी स्कूलों में कार्यरत अध्यापक काम तो शिक्षा विभाग में करते हैं किन्तु फिर भी शिक्षा विभाग के कर्मचारी नही कहलाते।लंबे समय से अध्यापक अपनी मांगो को ले कर आंदोलन करते आ रहे हैं।किन्तु शासन ने अभी तक अध्यापकों की मांगों पर गोर नही किया है।अब ऐसा लगता है कि अध्यापकों के सब्र का बांध टूट रहा है।अब अध्यापक नए सिरे से फिर से आंदोलन की तैयारी में हैं।इसी क्रम में रविवार को ज़िला मुख्यालय पर अध्यापक रैली निकालेंगे।आज अध्यापक तहसील स्तर से ज़िला मुख्यालय पर जाने के लिए निजी वाहनों की व्यवस्था करते हुए दिखाई दिये।ऐसा अनुमान है कि इस रैली में बड़ी संख्या में अध्यापक ज़िला मुख्यालय पर जा कर रैली में सम्मिलित होंगे।

शुक्रवार, 23 सितंबर 2016

अध्यापक स्ट्राइक डे......



                    अध्यापक संघर्ष समिति सिरोंज की आज महत्वपूर्ण बैठक रखी गई।जिसमें बड़ी संख्या में अध्यापक उपस्थित हुए।अध्यापक नेताओं ने बैठक को सम्बोधित किया और प्रस्तावित 25 सितम्बर को अध्यापकों की होने वाली रैली की तैयारियों की समीक्षा की।



                   ऐसा समझा जा रहा है कि अध्यापकों की सम्भावित रैली पर शासन भी नज़र रखे हुए है।रैली की सुगबुगाहट को देखते हुए सरकार की और से भी सकारात्मक संकेत देखने को मिल रहे हैं।वेतन विसंगतियों को भी दूर करने की बात हो रही है।ऐसा लगता है कि सरकार अध्यापकों से किये वादे को जल्द ही निभा सकती है,पर अध्यापक सरकार के इन संकेतो को शंका की निगाह से देख रहे हैं।इस सम्बन्ध में जब अध्यापकों से चर्चा हुई तो उनका कहना था कि,शासन उनकी प्रस्तावित रैली को रद्द कराना चाहती है।
अब असल बात जो भी हो हम आज की अध्यापक संघर्ष समिति की बैठक की बात कर रहे थे,जिसका सफल समापन हुआ।आगामी रैली को लेकर रणनीति पर सहमति बनी।रैली कितनी सफल होती है यह आम अध्यापकों की सहभागिता पर निर्भर करेगा....25 सितम्बतर नज़दीक है जल्द ही आपके हमारे सामने परिणाम होंगे।अभी यह लग रहा है कि,25 सितम्बर को strike sunday या adhyapak  strike day है शायद।आपको क्या लगता है लिखियेगा......

आयरन गोली होगी वितरित ....


              आज जनपद शिक्षा केंद्र में स्वास्थ्य विभाग ने बैठक ली।बैठक में जनपद शिक्षा केंद्र का स्टाफ मौजूद था।गौरतलब बात ये है कि सरकारी स्कूलों के बच्चों का स्वास्थ्य विभाग सामान्य चैकअप भी करता है और बच्चों को आयरन की गोली भी स्वास्थ्य विभाग से 
वितरित की जाती है।उसी परिपेक्ष्य में आज सम्बंधित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने बैठक ली और जनशिक्षकों को आयरन गोली वितरित करने के दिशा निर्देश भी दिए।ये आयरन की गोली अब सरकारी स्कूलों के बच्चों को वितरित की जायेगी।

सकारात्मक संकेत....


                 अध्यापकों के प्रस्तावित आंदोलन को देख कर सरकार की और से सकारात्मक संकेत देखने को मिल रहे हैं।समाचार पत्रों में प्रतिदिन सरकार से बनी सहमति और अध्यापक मांगों पर सहमति से सम्बंधित खबरें प्रकाशित हो रही हैं।अब अध्यापक और अध्यापक नेता इन सब पर कितना विश्वास करते हैं,यह वही जाने।किन्तु अचानक से अध्यापकों को सरकार की और से संकेत मिलने लगे हैं कि,सरकार ये बताना चाह रही है कि वह अध्यापकों के हितों का हमेशा से ही ख्याल रखती आ रही है।और आगे भी रखेगी।सरकार संकेत दे रही है कि अध्यापक हड़ताल न करें।बल्कि स्कूलों में बच्चों को पढाएं।इधर अध्यापक अपनी रैली की तैयारियों में व्यस्त हैं।देखना ये है कि परिणाम क्या आते हैं

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गुरुवार, 22 सितंबर 2016

सरकार अचरज में....


                             अध्यापकों के आंदोलन की सुगबुगाहट सुन कर सरकार अचरज में है।सरकार का मानना यह है कि अध्यापकों संघठनों की सहमति से ही बनी सहमति में ये निर्णय हो चुका है कि अध्यापकों को छठवां वेतन मान पांच किश्तों में सितम्बर 2017 तक दिया जायेगा।साथ ही चित्र अनुसार समाचार पत्र में प्रकाशित समाचार के अनुसार सरकार अध्यापक संघठनों की सहमति के अनुसार,उस दिशा में काम भी कर रही है।सरकार का ये तर्क शायद अध्यापक संघठनों को पसन्द न आये।क्यों कि इस में ये नही बताया गया है कि कोन कोन से संघठन के साथ बैठ कर ये सहमति बनी थी।अब स्तिथि जो भी हो अध्यापक आर पार की लड़ाई का मूड दिखा रहे हैं।सरकार की तरफ से ये तर्क रखा जा रहा है कि,आपके साथ बनी सहमति के अनुसार कार्य किया तो जा रहा है।इन सब के बीच आम अध्यापक पशो पेश में है कि किया क्या जाये? और जब इस प्रकार की सहमति बन गई थी तो उसकी जानकारी आम अध्यापक को आज तक क्यों नही थी? अध्यापकों का तो यहां तक कहना है कि,यदि सरकार का पक्ष सही है तो,ऐसी सहमति बनाने से पहले आम अध्यापक को विश्वास में क्यों नही लिया गया।क्या आम अध्यापक रैली आंदोलनों में भीड़ एकत्रित करने तक ही सीमित है।इधर अध्यापक नेताओं का मानना है कि उनकी प्रस्तावित रैली को असफल करने के लिए भ्रम की स्तिथि पैदा की जा रही है।अब वास्तविक स्तिथि जो भी हो आम अध्यापक तो इसी आस में बैठा है कि,आखिर कब शिक्षा विभाग में संविलियन होगा...........और कब मिलेगा छटवां वेतन मान।

तिरंगा रैली की तैय्यारी....


                   अध्यापक 25 सितम्बर को प्रस्तावित तिरंगा रैली की तैय्यारी में लगे हुए हैं।इस रैली की तैय्यारी के लिए विकासखण्ड स्तर पर बैठकें कर के अध्यापकों को एक सूत्र में बांधने और रैली को सफल बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं।प्रदेश भर के अध्यापकों में प्रस्तावित रैली को लेकर उत्साह दिखाई दे रहा है। twitter पर अध्यापक इसे आर पार की लड़ाई बता रहे है।यहां अध्यापक बहनें भी इस में ज़ोर शोर से अपनी भागीदारी निभा रही हैं।एक अध्यापक बहन का twitter पर आया tweet देखिए...
"भैय्या अपनी छोटी बहन का शिक्षा विभाग में संविलियन करा दो" आपने सन्देश पड़ लिया होगा।इस प्रकार के अनेक सन्देश सोशल साइट पर भिखरे पड़े हैं।ग़ौरतलब बात यह है कि,अध्यापक सोशल साइट की अहमियत समझते हैं इसलिए सभी अध्यापक एवं अध्यापक नेता अपने इस प्रस्तावित आंदोलन को सड़क के साथ सोशल साइट पर भी ले आये हैं।अब देखना ये है कि 25 सितंबर को होने वाली अध्यापक रैली हो पाती है अथवा नही।और यदि रैली होती है तो वह अध्यापकों को उनका हक़ दिला पाती है या नही।ये सभी बातें समय के गर्त में छुपी हुई हैं।अध्यापक आशावादी रुख अपनाये हुए हैं उन्हें लगता है कि शासन उनकी बात ज़रूर सुनेगा।और सरकार भी जल्द ही अध्यापकों के हित में निर्णय लेगी।आपको क्या लगता है लिखिएगा।

संघर्ष समिति के बैनर तले अध्यापक आंदोलन...



             नये नाम और नए स्थान पर अध्यापकों की आज 25 सितम्बर की रैली की तैय्यारी हेतु बैठक सम्पन्न हुई।अध्यापक संघर्ष समिति के इस नए नाम के साथ प्रदेश के अध्यापक फिर से मैदान में उतरने की तैय्यारी कर रहे हैं।गोर तलब बात ये है कि बीते समय में अध्यापकों ने अपनी मांगों को लेकर खूब संघर्ष किया।शासन की और से उन्हें सकारात्मक  संकेत भी मिला।किन्तु निरन्तर समय गुज़रने के साथ ही,जब अध्यापकों की मांगें उन्हें पूरी होते नही दिखीं तो उनके तेवर बदलने लगे।विभिन्न संघठनों में बंटा अध्यापक संघठन इस बार पूरी तैय्यारी के साथ मैदान में उतरने के मूड मे है।सोशल साइट्स पर तो जेसे इस भाविष्य में होने वाले आंदोलन से सम्बंधित पोस्ट की भरमार अभी से दिखाई देने लगी है।whatsapp,facebook के बाद अध्यापक twitter पर भी सक्रिय दिखाई दे रहे हैं।twitter के अध्यापकों का रुख तो बड़ा ही आक्रामक है।किन्तु blogger पर अध्यापक दिखाई नही देते।खैर जो भी हो अध्यापक अपनी एकलोती मांग के लिए अब संघर्ष,"संघर्ष समिती" के बैनर तले करेंगे।शासन अब अध्यापकों को कितना response देता है ये तो समय ही बताएगा।जहां तक सिरोंज के अध्यापकों के आंदोलन मे सम्मिलित और सक्रिय होने की बात है तो,वह निश्चित रूप से इस आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाएंगे।क्योंकि उमेश सोनी जी के मार्गदर्शन वाले,चित्र में दिखाई दे रहे सभी चेहरे ऐसे हैं जिनके ऊपर अध्यापक विश्वास करते हैं और इस टीम ने कई सफल कार्यक्रम करके भी दिखाएँ हैं।


बुधवार, 21 सितंबर 2016

रोटी को तरसे.....



                    रोटी के अपने जलवे और कहानी है।पुरानी कहावत है कि,व्यक्ति की मुलभूत ज़रूरत ही "रोटी कपड़ा और मकान" है।आज हम उस रोटी की बात कर रहे हैं जिस्से शायद हम सभी प्रतिदिन रूबरु होते हैं।यहां शायद शब्द इसलिए लिखा है कि,हमारे इतने बड़े देश में लोगो के खान पान और रहन सहन में अंतर है।अनेकता में एकता की हमारी जेसी मिसाल पूरी दुनिया में न तो कभी देखने को मिलती है और न ही सुनने को।इतनी विभीधताओं के बाद भी हमारी एकता और भाईचारा हमारी पहचान है।तो ज़ाहिर सी बात है बहुत सी जगह रोटी का चलन ही न हो।बात रोटी की कर रहे थे तो यहां ये भी बताता चलूँ ,ये जो रोटी है कोई मामूली चीज़ नही है।बहुत सों को कई कई दिन मयस्सर नही होती और बहुत से ऐसे भी हैं जो एक रोटी के लिए न जाने कितने जगह हाथ जोड़ते हैं।और बहुत से ऐसे हैं जिन्हें ईश्वर की कृपा से प्रतिदिन समय पर रोटी के दर्शन हो जाते हैं।वास्तव में देखा जाये तो व्यक्ति इस रोज़ी रोटी की जुगत में ही लगा रहता है।ये रोटी फिल्मी जगत में भी दखल रखती है कई फिल्मों ने इस रोटी के महत्व को अपनी फिल्म में खूब भुनाया है।कई फिल्मी हिट गीत भी रोटी का ज़िक्र करते हुए दिखाई देते हैं

                 बात अगर आम आदमी की की जाये तो रोटी उसके लिए तो एक जद्दोजहद है।उसका प्रयास ये ही रहता है कि वह अपने परिवार को कम से कम रोटी तो समय पर मुहैया करा ही दे।आज शायद आम आदमी रोटी के लिए उतना परेशान न रहता हो जितना पहले था।अब तो सरकार भी आम आदमी को समय से रोटी उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है।बहुत कम मूल्य पर राशन की दुकानों से गेहूं उपलब्ध कराया जा रहा है।और अति गरीब लोगों को तो मुफ़्त में ही दिया जाता है।खैर एक ज़माना था जब रोटी परिवार के लिए परिवार का मुखिया मुहैय्या नही करा पाता था तो उसकी स्तिथि का अंदाज़ा आप लगा सकते हैं।रोटी का मुद्दा भावनात्मक है,और हमारी प्रमुख ज़रूरत है।रोटी के राग और राज़ से सभी परिचित हैं।ज़्यादा इस पर चर्चा करने की भी ज़रूरत नही है।आप उस आनन्द का महत्व समझिये जब किसी भूखे को भोजन कराकर कितनी शांति और सुकून मिलता है।यदि हर व्यक्ति किसी भूखे को रोटी खिला कर खुद रोटी का सेवन करें तो,शायद ही इस देश में कोई रोटी को तरसे।

उपसंचालक का सिरोंज दौरा.....


                   उपसंचालक का सिरोंज दौरा है।शासकीय हाईस्कूल और हायर सेकण्डरी स्कूलों का दौरा शिक्षा विभाग के आला अधिकारी कर रहे हैं।ये अधिकारी उन स्कूलों में जा रहे हैं जहां गत वर्ष परीक्षा परीणाम सन्तोष जनक नही था।शायद ये प्रयास हो कि,जो भी हो इस वर्ष रिज़ल्ट नही बिगड़ना चाहिए।शिक्षा के लिए ये एक अच्छा क़दम हो सकता है।ज़रूरत इस बात की है कि,आला अधिकारियों के निरीक्षण एवं दौरे केवल खाना पूर्ति बन कर ना रह जाये।क्योंकि देखने में ये आता है कि आला अधिकारियों की आने की खबर तो पहले ही लग जाती है।इस लिए सम्बंधित अधिकारी को रंग रोगन कर के सब कुछ अच्छा दिखा दिया जाता है।जबकि वास्तव में शिक्षकों और स्कूलों की भी अपनी समस्यायें हैं।जिनको भी हल किया जाना चाहिए।

सरकारी स्कूलों का ऑडिट....

                 आज जनपद शिक्षा केंद्र सिरोंज में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों का हुजूम दिखाई दिया अवसर था सरकारी स्कूलों की आडिट का।सभी जानते हैं कि हर साल सरकारी स्कूलों की शाला प्रबन्धन समितियों का ऑडिट होता है।ऑडिटर बाहर से आकर आडिट करते हैं।आज देर शाम तक आडिट का काम होता रहा।शेष शालाओं का कल आडिट होगा।शिक्षक फोटो कॉपी की दुकान पर तो कुछ जनपद में अपनी बारी आने का इंतेज़ार करते हुए दिखाई दिए।

शाला सिद्धि प्रशिक्षण ....


                   विदिशा में सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षण व्यवस्था बनाये रखने के लिए शिक्षकों को "शाला सिद्धी योजना" के तहत प्रशिक्षण दिया जा रहा है।इस्से पूर्व में भी शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया था।माना जा रहा है कि,यह प्रशिक्षण का अंतिम चरण है।इस प्रशिक्षण में शेष रहे एवं अनुपस्थित शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है सिरोंज से जनशिक्षक कैलाश कुमार कुशवाह और सरदार सिंह प्रशिक्षण ले रहे हैं।उल्लेखनीय बात ये है कि,ये दोनो जनशिक्षक पूर्व में भी प्रशिक्षण ले चुके हैं।किन्तु प्रशिक्षण लेने के पश्चात भी इन्हें अनुपस्थित बता दिया गया था।मास्टर ट्रेनरों में सिरोंज में पदस्थ अजीत त्रिवैदि भी सम्मलित हैं।शासन प्राथमिक शिक्षा में सुधार के लिए कुछ न कुछ नया करने का प्रयास कर रही है।उसी क्रम में ये योजना भी है।ये योजना कितनी सफल रहती है ये तो समय ही बताएगा।

मंगलवार, 20 सितंबर 2016

सरकारी स्कूलों में बच्चों का भोजन


             सरकारी स्कूलों में बच्चों के ठहराव के लिए भारत सरकार ने मध्यान्ह भोजन योजना प्राम्भ की थी ।देश भर में संचालित ये योजना बच्चों के शैक्षणिक विकास के लिए उत्तम है।योजना का उद्देश्य है कि,बच्चे पूरे समय स्कूल में रह कर ही शिक्षा ग्रहण करें।पूर्व में यह होता था कि,भोजन के समय बच्चे स्कूल से घर जाते थे तो वापिस स्कूल नही आते थे।शासन ने सरकारी स्कूल के बच्चों को अब स्कूल में ही एक समय का भोजन उपलब्ध करा दिया है।शासन की मन्शा भी साफ है कि,बच्चा पूर्ण समय स्कूल में ही व्यतीत करे।उसे भोजन करने के लिए भी घर नही जाना पड़े।किन्तु देखने में यह आया है कि देश के नोनिहालों के सम्पूर्ण विकास के लिए प्रारम्भ की गई,यह योजना सदैव ही विवादों में बनी रहती है।गौरतलब बात यह है कि,सरकारी स्कूलों मध्यान्ह भोजन का वितरण स्व सहायता समूहों के माध्यम से किया जाता है।इन समूहों की आये दिन शिकायतें मिलती रहती हैं।समाचार पत्रों की सुर्खियां में भी मध्यान्ह भोजन की अनियमितता की खबरें आपको हर दूसरे तीसरे दिन पड़ने को मिल जाती हैं।योजना क्या है तमाशा बन गया है।इसी मध्यान्ह योजना ने पुर्व में शिक्षक को बेईमान साबित करने की नाकाम कोशिश की है।संसार सदैव से ही परिवर्तनों को स्वीकार करता आ रहा है।अब ज़रूरत है मध्यान्ह भोजन योजना में बदलाव की।और बदलाव भी छात्र हित को ध्यान में रख कर किया जाना चाहिए।जिससे बच्चों को उच्च क्वॉलिटी का पौष्टिक भोजन स्कूल में मिल सके।देखते हैं आने वाले समय में इस योजना में सुधार होता भी है या नही।

अध्यापक आंदोलन के मूंड में.....


               
                                           मध्य प्रदेश में अध्यापक फिर से आंदोलन के मूण्ड में नज़र आ रहे हैं। 25 सितम्बर को तिरंगा रैली निकाली जाने की योजना भी है।क्या बात है कि शिक्षा के मन्दिर के ये पुजारी बार बार सड़कों पर आ जाते हैं।इनकी ऐसी कोन सी बेश कीमती मांगे हैं जिन्हें उभरते हुए मध्य प्रदेश,और बी मारु राज्य से,विकसित मध्य प्रदेश बनाने का दावा करने वाली सरकार पूरा नही कर पा रही है।पूर्व में भी अध्यापकों ने कई आंदोलन किये हैं,पर शासन के आश्वासन के बाद इन्हें कुछ न कुछ तो प्राप्त हुआ ही है।किन्तु बात समझ से परे है कि,इनकी मांगे मानी जाने की बात तो दूर है,इनकी बात को भी नही सुना जा रहा है।इस सम्बन्ध में अलग अलग लोगों के अपने अलग अलग विचार और तर्क हैं।कुछ लोग कहते हैं शासन को स्कूलों में अध्यापक चाहिए।नेता नही चाहिए।कुछ लोग ये कहते हैं कि,शासन को भली भांति पता है कि,कुछ अध्यापक केवल नेता गिरी ही करते हैं,वह स्कूल ही नही जाते।कुछबुद्धिजीवियों की ये सोच है कि शासन जल्द ही अध्यापकों की मांगों पर विचार कर के अध्यापकों के हित में ही निर्णय लेगा,अध्यापक सब्र रखें।बात जो भी हो साथ ही जिस की जो मनशा हो आम लोग कहते हैं कि अध्यापकों के बार बार हड़ताल पर जाने से बच्चों की पढाई प्रभावित होती है।अध्यापकों को यूँ बार बार सड़क पर उतरना शोभा नही देता है।इस क्रिया की प्रतिकिर्या में अध्यापक कहते हैं कि शासन को भी शोभा नही देता "वादा कर के भूल जाना" खैर मुद्दे की बात ये है कि शासन विसंगति रहित वेतन पत्रक शीघ्र जारी करे,और अध्यापकों की जायज़ मांगों पर जल्दी से विचार करके उचित निर्णय ले।जिससे अध्यापकों को बार बार सड़क पर नही उतरना पड़े। ई-अटेंडेंस लगाने के लिए जिन अध्यापकों के पास एनड्राईड मोबाइल नही है,वही face book,whatsapp,twitter आदि सोशल मीडिया पर अध्यापकों के हितो की लड़ाई लड़ने का दावा कर रहे है।बात निकलती है तो निकलती चली जाती है और मुद्दे की बात रह जाती है।बात हो रही थी अध्यापकों की तिरंगा यात्रा की।ये तिरंगा यात्रा कितनी उचित और अनुचित है ये अध्यापक और शासन समझें।महत्वपूर्ण ये है कि बच्चों की शेक्षडिक गति विधियां प्रभावित नही होना चाहिए।समाज, जनता की नज़र शासन और शिक्षक दोनों पर है।जनता का मानना ये है कि शिक्षक और शासन की इस संकेतिक लड़ाई में बच्चों का भाविष्य खराब हो रहा है उनके अनुसार अध्यापकों को धरने आंदोलन अवकाश के दिनों में करना चाहिए।अब कोन कितना सही है इसका आकलन आप पर छोड़ता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि आप इस सम्बन्ध क्या सोचते हैं,वोह यहां पर पर भी शेयर करेंगे।

सोमवार, 19 सितंबर 2016

ये डेंगू का जादू है.....


                 ये डेंगू का जादू है सर चड़ कर के बोलेगा।डेंगू जेसी बीमारी से बचने के जतन करने के बजाय लोग उसको हल्के में ले रहे हैं।यह हंसी मज़ाक का मुद्दा बन गया है।कॉमेडी शो में डेंगू का खूब मज़ाक बन रहा है।प्रतिभावान कला कार चित्र अनुसार चित्र बना कर लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाने का काम कर रहे हैं।पर डेंगू को घमभीरता से नही लिया गया तो यह चेहरे की मुस्कान को चेहरे से हमेशा के लिए समाप्त कर सकता है।वास्तव में डेंगू से बचाव के उपाय किये जा कर अपने और अपने परिवार के साथ ही अपने आस पास के लोगों को भी सुरक्षित किये जाने की ज़रूरत है।डेंगू का मज़ाक बनाने के बजाय उसे घमभीरता से लिया जाना चाहिए।

निरीक्षण शाला का.....


              विकासखण्ड स्त्रोत समन्वयक निखलेश कुमार श्रीवास्तव ने आज प्राथमिक शाला इमलानी के स्कूल का निरीक्षण किया साथ ही माध्यमिक स्तर के बच्चों से भी चर्चा की।बी आर सी निखलेश कुमार श्रीवास्तव इमलानी रोड से विदिशा आवशयक मीटिंग में सम्मलित होने जा रहे हैं।इस रोड पर जितने भी सरकारी स्कूल सिरोंज विकास खण्ड अंतगर्त आते हैं।सभी का निरीक्षण करते हुए विदिशा रवाना हुए।इस दौरान सम्बंधितों को शाला के बेहतर सञ्चालन हेतु,आवशयक निर्देश बी आर सी ने दिए।

रविवार, 18 सितंबर 2016

अचानक हुई बारिश ....



                     अचानक हुई बारिश से मौसम में ठंडक बनी हुई है।जहां उमस और गर्मी से लोग परेशान थे।और घरों में एवं कर्यालयों में पंखे चल रहे थे,तब भी राहत की कोई बात नही थी।अचानक मौसम ने अपना मिज़ाज़ बदला और बारिश की बूंदें ने शहर को तर बतर किया।और लोगों को थोड़ा ही सही पर गर्मी से कुछ तो राहत मिली।इन दिनों मौसमी बीमारियों से सभी पीड़ित हैं।शायद ही कोई परिवार ऐसा हो जिसका कोई सदस्य इन मौसमी बीमारियों के प्रकोप से बचा हो।इन दिनों चिकत्सकों की चांदी है।हर चिक्तसलाय इन दिनों आबाद है।डॉक्टर साहब के पास मरीजों को देखने के लिए समय नही है।किन्तु अचानक हुई बारिश से आम जनता को कुछ तो सुकून मिला।





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suvachhta: अध्यापकों के संघठन एक मंच पर....?

अध्यापकों के संघठन एक मंच पर....?


                      शासकीय स्कूलों के अध्यापक और अध्यापक नेताओं की आज बैठक किये जाने की खबर है।विभिन्न संघों में बटे हुए अध्यापक कह रहे हैं कि सभी संघठन मिलकर काम करेंगे।इस बात में कितनी दम है आने वाले कुछ दिनों में ही पता चल पायेगा।सब जानते हैं अध्यापकों के अलग अलग संघठनों ने अलग अलग अपने तरीके से विभिन्न आंदोलन किये हैं।किन्तु कई संघों संघठनों बटा अध्यापक आज तक अपनी मूल मांग नही मनवा पाया है।अब whatsapp पर ये खबरें चल रही हैं कि,अध्यापकों के सभी संघठन एक मंच पर आ गए हैं और सभी एक होकर अपनी लड़ाई लड़ना चाहते हैं।आम अध्यापक के ये बात कितनी समझ आती है,ये वोह ही जाने।अध्यापकों के बारे में ये कहा जाता है कि,इनके अनेक संघठन और अनेक नेता हैं।इनकी अनेकता में कभी एकता देखने को मिलती नही है।प्रशंसा उस आम अध्यापक की ज़रूर की जानी चाहिए।जो हर आंदोलन में,हर संघठन के साथ खड़ा दिखाई दिया।नुकसान भी उसी ने सबसे ज़्यादा उठाया है।आज कल कुछ अध्यापक साथी twitter पर अपनी बात बड़े ज़ोर शोर से रख रहे हैं।ऐसे लोगों के बारे में कहा जाता है कि,वह कुछ नही करते।बात हो रही थी अध्यापकों के एक होकर शासन से अपनी मांगे मनवाने की.........अब देखना ये है कि ये एक होना अध्यापकों के कितना काम आता है।वेसे भी अध्यापक निराश अवश्य है.....पर हारा नही है.....जोश भी वही पहले जेसा है....नही है तो केवल सही नेतृत्व.....जो उन्हें उनका अधिकार दिला सके।

अवकाश के दिन काम...


                 काम का कोई निश्चित समय नही होता है।ये बात सभी जानते हैं।पर मिशन में भी ऐसा ही होता है।जहां कभी भी कोई भी काम आ जाता है।सरकारी कार्यालयों में अवकाश के दिन काम होना नई बात लगती है।रविवार के दिन जनपद शिक्षा केंद्र में जनशिक्षक ,बी ए सी काम करते हुए दिखाई दिए।नज़ारा भी देखने लायक था।अवकाश के दिनों में शासकीय कर्मचारियों से काम करने की उम्मीद नही की जाती है।

रविवार को भी काम...


             जनपद शिक्षा केंद्र में रविवार के दिन भी काम हो रहा है।चित्र में जनशिक्षक कैलाश कुमार कुशवाह और बी ए सी विष्णु प्रसाद शर्मा जानकारियां एकत्रित करते हुए दिखाई दे रहे हैं।सूचना के अधिकार के तहत चाही गई जानकारीयां एकत्रित करने में समस्त जनशिक्षक बी ए सी लगे हुए हैं।साथ ही अन्य शैक्षणिक गतिविधियों पर भी चर्चा की जा रही है।बी आर सी निखलेश श्रीवस्तव के निर्देशानुसार आज रविवार को भी जनपद शिक्षा केंद्र में काम हो रहा है।