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रविवार, 11 सितंबर 2016

आज़माइश इब्राहीम की .....

आज़माइश इब्राहीम की .....
                         13 सितम्बर को मुस्लिम समाज का महत्वपूर्ण त्यौहार है।इसी रोज़ मक्का में लाखों लोग हज करते हैं।ईद का ये पर्व आपसी भाईचारा और मोहब्बत का पैगाम देता है।इस पर्व पर क़ुरबानी का बड़ा महत्व है।जिस प्रकार हमारे जांबाज़ सेनिक सीमाओं पर हमारे देश की हिफाज़त करते हुए हर तरह की क़ुरबानी देने के लिए तैयार रहते हैं।क़ुरबानी के अनेक रूप हैं।कोई समय की क़ुरबानी देता है।कोई जान,माल की क़ुरबानी देता है।हज़रत इब्राहिम की भी अल्लाह ने आज़माइश की,हुकुम हुआ अपने बेटे इस्माइल की क़ुरबानी दो।इब्राहीम आज़माइश में कामयाब हुए।और इसी दिन से ये क़ुरबानी का पर्व मनाया जाने लगा।ये पर्व त्याग और बलिदान का पैगाम देता है।इस पर्व पर हमें ये प्रतिज्ञा लेना चाहिये कि,इस देश में इस पवित्र पर्व पर हमें अमन और अमान की प्राथना करना चाहिए।ये पर्व हमें आपस में मिल जुल कर मोहब्बत से रहना सिखाता है।जिस प्रकार हज़रत इब्राहीम की आज़माइश हुई और क़ुरबानी का पर्व हमें मिला।जो हमें सिखाता है कि हमें
अपने मुल्क की तरक्की और हिफाज़त के लिये हर तरह की क़ुरबानी देने के लिए तैय्यार रहना चाहिए
अनेकता में एकता वाला ये देश हमेशा इंसानियत का पाठ दुनिया को पड़ाता आरहा है।