शनिवार, 17 सितंबर 2016

गुज़रा हुआ वक़्त लौट कर नही आता


                       व्यक्ति की ज़िन्दगी का सबसे महत्वपूर्ण दौर बचपन होता है।हर कोई चाहता है कि मेरा बचपन फिर लोट आये लेकिन ऐसा होता नही है।वास्तव में ज़िन्दगी का ये पड़ाव जिसे हम बचपन कहते हैं।हर किसी को बैचेन किये रहता है।सभी की ज़ुबान पर अपने बचपन से जुड़ी कुछ खट्टी मीठी यादें होती हैं।जो वह अपनों से शेयर करना चाहता है।ये ही वजह है कि सभी को बच्चे पसन्द होते हैं।बच्चे  भी कितने मासूम और भोले होते हैं।कठोर से कठोर व्यक्ति भी बच्चों के सामने नरम हो जाता है।जब हम बड़े हो जाते हैं तो अपने बच्चों को अपने बचपन के किस्से कहानियाँ सुनाते हैं।वास्तव में देखा जाये तो बचपन की बातें और यादें हर किसी को याद रहती है।और व्यक्ति सोचता है काश एक बार फिर से बचपन लौट आये।पर ऐसा होता नही है।जो बीत गया सो बीत गया ।बात बचपन की हो रही है तो अंत में ये भी बताता चलूँ कि,जो पल  हमें ज़िन्दगी में मिले हैं उन्हें खुशी से जी लेना चाहिए क्योंकि वक़्त कभी लोट कर नही आता है।जेसे बचपन लोट कर नही आता वेसे ही ज़िन्दगी का हर पड़ाव महत्वपूर्ण है।जो गुज़र जायेगा वोह कभी लोटेगा नही।किसी बड़े लेखक ने लिखा था "गुज़रा हुआ वक़्त लोट कर नही आता" जिसने भी लिखा था सही लिखा था।आप क्या सोचते हैं? लिखियेगा

2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

Nice

Unknown ने कहा…

Sahi likha hai har par khush rehna chaye jaisa ki apne likha bachpan hi nahi zindagi ka har padav aur har pal mehatvpurna hai