मंगलवार, 13 सितंबर 2016

डेंगू का डंक....

डेगूं का डंक
             इन दिनों मच्छरों का अत्याचार कुछ ज़्यादा ही रहता है।विभिन्न प्रकार की बीमारियों का जन्म हो गया है।अभी कुछ सालों से डेंगू का मर्ज़ भी जान जोखिम में डालता नज़र आ रहा है।डेंगू भी एक ऐसी बीमारी है जो मच्छर के काटने से होती है इसके मच्छर दिन में ही काटते हैं।डेंगू से सुरक्षा के उपाय नही किये गए तो ये भी एक जान लेवा बीमारी है।इस वर्ष भोपाल में 75 मरीज़ डेंगू के मिले हैं जो पिछले वर्ष की तुलना में बहुत अधिक है प्रदेश  की राजधानी भोपाल में डेंगू के लार्वा तलाशने और उसे नष्ट करने के लिए विभिन्न टीमें बनाई गई हैं।पर कितनी टीमें काम कर रही हैं।उसकी ज़मीनी हक़ीक़त कुछ और है।यहां ये सब चर्चा करने का उद्देश्य ये है कि जब सम्बंधित विभाग राजधानी में ही अपनी ज़िम्मेदारी नही निभा पा रहा है तो।दूर दराज़ ग्रामीण क्षेत्रों की स्तिथि क्या होगी आप अन्दाज़ा लगा सकते हैं।कई लोग डेंगू का डंक सह नही पाते और उन्हैं समय पर उपचार भी नही मिल पाता है।और चले जाते हैं ये दुनिया छोड़ कर,सरकार इसके लिए जागरूकता अभियान भी चलाती है।सब के अपने प्रयास हैं फिर भी कइ लोग डेंगू के डंक का शिकार हो जाते हैं।डेंगू से बचने के लिए ज़रूरी है कि,साफ सफाई रखी जाये,पानी को खुला न छोड़े इत्यादि।वास्तव में सुरक्षा ही उपाय है।मर्ज़ कोई भी हो।

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