गुरुवार, 22 सितंबर 2016

सरकार अचरज में....


                             अध्यापकों के आंदोलन की सुगबुगाहट सुन कर सरकार अचरज में है।सरकार का मानना यह है कि अध्यापकों संघठनों की सहमति से ही बनी सहमति में ये निर्णय हो चुका है कि अध्यापकों को छठवां वेतन मान पांच किश्तों में सितम्बर 2017 तक दिया जायेगा।साथ ही चित्र अनुसार समाचार पत्र में प्रकाशित समाचार के अनुसार सरकार अध्यापक संघठनों की सहमति के अनुसार,उस दिशा में काम भी कर रही है।सरकार का ये तर्क शायद अध्यापक संघठनों को पसन्द न आये।क्यों कि इस में ये नही बताया गया है कि कोन कोन से संघठन के साथ बैठ कर ये सहमति बनी थी।अब स्तिथि जो भी हो अध्यापक आर पार की लड़ाई का मूड दिखा रहे हैं।सरकार की तरफ से ये तर्क रखा जा रहा है कि,आपके साथ बनी सहमति के अनुसार कार्य किया तो जा रहा है।इन सब के बीच आम अध्यापक पशो पेश में है कि किया क्या जाये? और जब इस प्रकार की सहमति बन गई थी तो उसकी जानकारी आम अध्यापक को आज तक क्यों नही थी? अध्यापकों का तो यहां तक कहना है कि,यदि सरकार का पक्ष सही है तो,ऐसी सहमति बनाने से पहले आम अध्यापक को विश्वास में क्यों नही लिया गया।क्या आम अध्यापक रैली आंदोलनों में भीड़ एकत्रित करने तक ही सीमित है।इधर अध्यापक नेताओं का मानना है कि उनकी प्रस्तावित रैली को असफल करने के लिए भ्रम की स्तिथि पैदा की जा रही है।अब वास्तविक स्तिथि जो भी हो आम अध्यापक तो इसी आस में बैठा है कि,आखिर कब शिक्षा विभाग में संविलियन होगा...........और कब मिलेगा छटवां वेतन मान।

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