शुभ रात्रि और शब्बा खेर जेसे शब्द हमने अनेक बार सुने हैं।यदा कदा आवश्यकता पड़ने पर हम भी इनका प्रयोग करते है।आज कल Good Night शब्द का ज़्यादा प्रचलन है।व्यक्ति के जीवन में दिन रात का खेल चलता रहता है।पहले कहा जाता था कि,दिन का समय काम काज के लिए है।और रात का समय आराम करने के लिए होता है।बात भी सही है आदमी दिन भर अपना काम करके शाम को घर आता है और थका हुआ शरीर आराम की तलाश करता है।पर आज के इस आधुनिक दौर ने इन पुरानी बातों में भी परिवर्तन ला दिया है।अब इस तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी में व्यक्ति ओवर टाइम भी काम करता है।कुछ लोग का काम ही ऐसा होता है कि,उन्हें ,नाइट शिफ्ट"में काम करना होता है।और वह सम्भवता दिन में आराम करते होंगे।बात जो भी हो जब व्यक्ति सोने जाता है तो उसे नही पता होता कि वह कल का दिन भी देख पायेगा या नही।क्यों के किस व्यक्ति को कितना जीना है, ये उसे नही पता होता है।कब किस की साँसे पूरी हो जाएं ये कोई भी नही जानता है।इस भाग दौड़ वाली ज़िन्दगी में व्यक्ति दौड़ लगाता रहता है।पता ही नही चलता कि,ज़िन्दगी का ये सफर कब समाप्त होने वाला है।आप सभी ने किसी अपने को इस ज़िन्दगी के सफर को पूर्ण करके जाते हुए कई बार देखा होगा।ये भी हम सभी जानते हैं कि,जब कोई अपना हमें हमेशा के लिए छोड़ कर चला जाता है तो कितनी तकलीफ होती है।ये सोचने भर से हम मायूस हो जाते हैं कि,आज अपना वह व्यक्ति हमारे बीच नही है।बहुत से ऐसे लोग होंगे जिन्होंने अपने माता पिता को अपने से दूर जाता देखा होगा,वही लोग समझते भी हैं कि किसी अपने के यूँ ही चले जाने से कितना दुख होता है।पर ज़िन्दगी की सच्चाई भी ये ही है।जिसने इस दुनिया में जन्म लिया है उसको ये दुनिया छोड़ कर भी एक दिन जाना है।किस को कब जाना है ये कोई नही जानता।मैं यहां कोई नई बात नही लिख रहा हूँ सब इन बातों से परिचित हैं पर जब चित्र में सासों का ज़िक्र देखा तो मन हुआ कि कुछ लिखा जाये।आप इससे बेहतर इस सम्बन्ध में विचार रखते होंगे।मुझे लगता है कि आप उचित समझें तो अपने विचार शैयर अवश्य करें
5 टिप्पणियां:
Sahi kaha
Mustaqil koshishe rat din
Zindagi kese behtar bane
Itne dukh zindagi ke liye
Aur isi ka bharosa nahi
Theek he
Kuan bat he
Bahut khoob
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