शुक्रवार, 16 सितंबर 2016

ज़िन्दगी का ये दौर ....


                         ज़िन्दगी का ये दौर भी एक सच्चाई है।जिस को नकारा नही जा सकता है।बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं जो इस उम्र में आ ही नही पाते हैं।कुछ लोगों का उम्र के इस पड़ाव पर आते आते अपने जीवन साथी का साथ छूट जाता है।कुछ लोग खुशनसीब होते है।वह उम्र के इस दौर में भी अपने जीवन साथी के साथ प्रेम से रहते हैं।पर दिक़्क़त उन लोगों की हो जाती है जो उम्र के इस तीसरे चोथे दोर में,रोज़मर्रा की दिकक्तों का भी सामना अकेले ही करते हैं।शासन इन्हें सम्मान से "सीनियर सिटीजन"कहता है।पर इन सीनियर सिटीजन की ज़िन्दगी किस हाल में गुज़र रही है,ये देखने वाला कोई भी नज़र नही आता है।कभी कभी कुछ लोग इस उम्र के आपको सड़कों पर भीख मांगते भी दिखाई दिए होंगे।चिंतन का विषय है।आप भी सोचियेगा ज़रूर।क्या वास्तव में ये उम्र भीख मांग कर गुज़ारा करने की होती है।या इस उम्र में इनको कुछ थोड़ी बहुत सहूलियत भी मिलना चाहिए.......?